
केवल हिंदुस्तान में दर्शन संगीत के रूप में कहा गया। जब दर्शन और संगीत का जोड़ हो जाए तो मज़ा ही आएगा।

किसी विशुद्ध ‘बकवास’ को प्रदर्शित करना, और बोध के द्वारा भाषा की सीमाओं से सिर फोड़ने से आई चोटों को दिखाना दर्शन के परिणाम हैं। इन चोटों से हमें खोज की महत्ता पता चलती है।

हे भगवान! दार्शनिक को सभी व्यक्तियों की आँखों के सामने रखी वस्तुओं को देखने की अंतर्दृष्टि प्रदान कर।

किसी बेहूदा जासूसी कहानी में कही गई बात किसी बेहूदा दार्शनिक द्वारा कही जाने वाली बात से कहीं अधिक महत्त्वपूर्ण और स्पष्ट होती है।

नारी के सच्चे रूप का दर्शन कितनी बड़ी दुर्लभ वस्तु है, इस बात को जगत के अधिकांश लोग जानते ही नहीं।

यदि दर्शन और बुद्धि का उपयोग मनुष्यों की समानता की घोषणा करने के लिए किया जाता है, तो उनका उपयोग मनुष्यों के विनाश को उचित ठहराने के लिए भी किया जाता है।

दरिद्रनारायण के दर्शन करने हों, तो किसानों के झोंपड़ों में जाओ।

तीर्थंकरों ने जो कुछ देने योग्य था, वह दे दिया है, वह समग्र दान यही है—दर्शन, ज्ञान और चरित्र का उपदेश।

ईसा की वाणी में भारतीय चिंतन ही बोला था, यूरोप में उस वाणी की कोई परंपरा ही नहीं थी। इराक़ तक फैले हुए बौद्ध, शैव और वैष्णव चिंतनों का दर्शन ही उसकी पृष्ठभूमि में था।

दर्शन तर्क-वितर्क कर सकता है और शिक्षा दे सकता है, धर्म उपदेश दे सकता है और आदेश दे सकता है; किंतु कला केवल आनंद देती है और प्रसन्न करती है।


संसार में एक कृष्ण ही हुआ जिसने दर्शन को गीत बनाया।

जगत् की विघ्न-बाधा, अत्याचार, हाहाकार के बीच ही जीवन के प्रयत्न में सौंदर्य की पूर्ण अभिव्यक्ति तथा भगवान की मंगलमय शक्ति का दर्शन होता है।

विपत्तियों का मधुर दुग्ध - दर्शनशास्त्र।

प्रथम दर्शन में ही सज्जन व्यक्ति उपहार के रूप में प्रणय को समर्पित करता है।

दर्शनशास्त्र की आवश्यकता तब पड़ती है जब परंपरा में श्रद्धा हिल जाती है।

प्रेम से आर्द्र, उत्कृष्ट प्रेम के आश्रयभूत, परिचय के कारण प्रगाढ़ अनुराग से संपन्न एवं स्वभाव से सुंदर उस की कटाक्ष आदि चेष्टाएँ मेरे प्रति हों। इस प्रकार की आशा से परिकल्पित होने पर भी तत्काल ही नेत्र आदि बाह्य इंद्रियों के दर्शन आदि क्रियाओं को रोकने वाला और अत्यंत आनंद से प्रगाढ़ चित्त का लय (तन्मयता) हो जाता है।

हे देवाधिदेव! अत्यंत शीघ्र ही इस असार संसार को मेरे मन से दूर कर दो। हे यादवेश! मेरे पाप-समूहों को मुझसे दूर कर दो। हे भगवान! आप दीन व अनाथ पर अवश्य ही अचल कृपा करते हैं। हे जगन्नाथ स्वामी! मुझे दर्शन दो।

पाश्चात्य दर्शन का इतिहास प्लेटो के दर्शन पर पाद-टिप्पणियों की शृंखला से अधिक कुछ नहीं है।

दर्शनशास्त्र : असाध्य समस्याओं के अबोधगम्य उत्तर।

जैसे सर्वोतम धर्म वह है जो सभी धर्मों के सत्य को स्वीकारे, वैसे ही सर्वोतम दार्शनिक मत वह है जो सभी दर्शनों के सत्य को स्वीकारे और प्रत्येक को उसका उचित स्थान दे।

कुछ भी ऐसा बुरा या ऐसा अच्छा नहीं है कि अँग्रेज़ वैसा करता हुआ न मिले किंतु कभी भी तुम्हें अँग्रेज़ ग़लती पर नहीं मिलेगा। वह हर बात सिद्धांत पर करता है। वह तुमसे लड़ता है तो देशभक्ति के सिद्धांतों पर; वह तुम्हें लूटता है व्यापारिक सिद्धांतों पर; वह तुम्हें दास बनाता है साम्राज्यवादी सिद्धांतों पर; वह अपने राजा का समर्थन करता है राजकीय सिद्धांतों पर और अपने राजा का सिर काट देता है गणतंत्रीय सिद्धांतों पर।

होरेशियो! तुम्हारे दर्शनशास्त्र में जिन बातों की को कल्पना की गई है, उनकी तुलना में पृथ्वी और स्वर्ग में कहीं अधिक वस्तुएँ हैं।

दर्शनशास्त्र आश्चर्य की उपज है।
aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere