
सारी कलाएँ एक-दूसरे में समोई हुई हैं, हर कला-कृति दूसरी कलाकृति के अंदर से झाँकती है।

कला का कार्य यथास्थिति बताने से ज़्यादा यह कल्पना करना है कि क्या संभव है।

सफल होने के लिए—एक कलाकार के पास—साहसी आत्मा होनी चाहिए। …वह आत्मा जो हिम्मत करती है और चुनौती देती है।

कला से प्रेम करो। सभी झूठों में से, यह सबसे कम असत्य है।

कविता विद्वान की कला है।

लेखन की कला आप जो मानते हैं, उसे खोजने की कला है।

कला उनके लिए सांत्वना है, जिन्हें जीवन ने तोड़ दिया है।

जहाँ तक मुझे याद आता है कि मैं हमेशा गहरे अवसाद से पीड़ित रहा जो मेरी कलाकृतियों में भी झलकता है।

कला लंबी है और जीवन छोटा—मृत्यु मँडरा रही है।

पति को पा लेना एक कला है, उसे पकड़कर रखना कठिन कार्य है।


कला हमारे विश्वासघाती आदर्शों का दर्पण है।

अश्वेत साहित्य को समाजशास्त्र के रूप में पढ़ाया जाता है—सहिष्णुता के रूप में, गंभीर, कठोर कला के रूप में नहीं।


आप अच्छे इरादों से कला की रचना नहीं कर सकते हैं।

प्रेम की कला के अभ्यास के लिए ‘आस्था का अभ्यास’ ज़रूरी है।

‘कला के लिए कला’ खोखला वाक्यांश है। सत्य के लिए कला, शुभ और सुंदर के लिए कला—मुझे इसी विश्वास की तलाश है।

कला सिर्फ़ और सिर्फ़ अभाव, चाहत और अकेलेपन से नहीं रची जाती है; रचना के लिए घनिष्ठता, जुनून और प्रेम भी ज़रूरी है।

कभी कलात्मक गहने मत पहनो, ये स्त्री की प्रतिष्ठा को बर्बाद कर देते हैं।

कलाकारों के लिए यह आवश्यक नहीं कि वे नैतिक रूप से बहुप्रसंशित हो। सिर्फ़ यही महत्त्वपूर्ण है कि वे महान कला का सृजन करें।

कला में कुछ भी कहना कठिन है : कुछ कहना कुछ न कहने जैसा ही है।

जब सच्चाई पर नवीनता का रंग चढ़ता है, उस समय मानो सोने की अंगूठी में कोई हीरा जड़ देता है। कला वही है जो नमूने में नई गठन गढ़ दे, परंतु वाणी में भी प्राचीनता का पाठ पढ़ाए।

वास्तविक कला में हमें उत्तेजित करने की क्षमता होती है।

सीखना, अनदेखा करने की कला है।

कला के मामलों में धीमे से बढ़ो : प्रत्येक क्षण को वह देने दो जो उसे देना है। वक़्त के आगे भागने की कोशिश न करो।

चिकित्सा की कला में रोगी को ख़ुश करना शामिल है, जबकि बीमारी को प्रकृति ठीक करती है।

पत्र लिखना भी एक कला है। हमारी सभी कलाएँ सत्य की पूजा से आरंभ होती हैं। मुझे पत्र लिखना है और उसमें सत्य ही लिखना है और उसमें प्रेम उड़ेल देना है ऐसा सोचकर लिखने बैठोगे तो सुंदर पत्र ही लिखोगे।

साहित्य और कला की हमारी पूरी परंपरा में, जीव की प्रधान कामना आनंद की अनुभूति है।

चीज़ों को देर तक देखना तुम्हें परिपक्व बनाता है और उनके गहरे अर्थ समझाता है।

मैं अपने चित्रों को स्वप्न में देखता हूँ और अपने स्वप्नों के चित्र बनाता हूँ।

जो एक स्थान पर टिका होता है, वह अपना मन नहीं बदलता।

संगीत, संवेदनाएं, पौराणिक कथाएँ, समय के साथ ढ़ल चुके चेहरे और कुछ जगहें हमें कुछ बताना चाहते हैं, या हमें कुछ बता रहे हैं जिनसे हमें चूकना नहीं चाहिए था या वे हमसे कुछ कहने वाले हैं, एक रहस्य का बहुत क़रीब से प्रकट होना, जिसे बनाया नहीं, जो शायद एक सुन्दर घटना है।

कला हमेशा मनुष्य का चुनाव करती है, जो मूर्त है, कला सैधान्त्तिक नहीं होती।

आधुनिकता एक मूल्य नहीं है, मूल्य के प्रति एक दृष्टि है।

उत्कृष्ट शिष्य को दी गई शिक्षक की कला अधिक गुणवती है जैसे मेघ का जल समुद्र की सीपी में पड़ने पर मोती बन जाता है।

साहित्य, लालित्य के बचाव में प्रयत्नशील बने रहने की भी भूमि है।

कला उनके लिए सान्त्वना है जिन्हें जीवन ने तोड़ दिया है।

जो प्रश्न हमेशा मेरे दिमाग़ में घूमता रहता है, वह यह है: मैं किस चीज़ में बेहतर हूँ। क्या मैं किसी भी तरह से किसी भी काम के लिए उपयोगी नहीं हूँ।

नीले को समझने के लिए पहले तुम्हें पीले और नारंगी को समझना होगा।

आधुनिकतावाद भले ही अलग-अलग टुकड़ों और बारीकियों में सफल रहा हो, सारत: वह विफल हो गया।

एक चित्र में जिसे रंग कहते हैं, उसे ही जीवन में उत्साह कहते हैं।

मैं उसी वक़्त ख़ुद को ज़िन्दा पाता हूँ जिस वक़्त मैं चित्र बना रहा होता हूँ।

हर चीज़ की जड़ चित्र है।

एक अच्छा चित्र एक अच्छे कर्म के समान है।

काष्ठा, कला, मुहूर्त, दिन, रात, लव, मास, पक्ष, छह ऋतु, संवत्सर और कल्प इन्हें 'काल' कहते हैं तथा पृथ्वी को 'देश' कहा जाता है। इनमें से देश का तो दर्शन होता है किंतु काल दिखाई नहीं देता। अभीष्ट मनोरथ की सिद्धि के लिए जिस देश और काल को उपयोगी मानकर उसका विचार किया जाता है, उसको ठीक-ठीक ग्रहण करना चाहिए।

यदि तुम्हारे भीतर से एक आवाज़ आती है कि तुम चित्र नहीं बना सकते तब किसी भी तरह से तुम्हें चित्र बनाने चाहिए, और फिर वह आवाज़ शांत हो जाएगी।

जागृत राष्ट्र में ही विलास और कलाओं का आदर होता है।

शिल्पी और कारीगर निर्माण कला के शब्द और व्याकरण हैं।

चंद्रमा के प्रकाश द्वारा प्रशंसा किए जाने पर किसी की छाया जीवन से बड़ी हो जाती है।

कविता के रंग चित्रकला के प्रकृति-रंग नहीं होते।
aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere