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चीज़ें पर कविताएँ

कविता के भाव में कहें

तो चीज़ें वे हैं जिनसे हमारी दुनिया बनती है और बर्बाद भी होती है। यहाँ प्रस्तुत है चीज़ों की उपस्थिति-अनुपस्थिति को दर्ज करती कविताओं का यह व्यापक चयन।

अंतिम ऊँचाई

कुँवर नारायण

धीरे-धीरे

सर्वेश्वरदयाल सक्सेना

प्रेम लौटता है

गौरव गुप्ता

तुमसे अलग होकर

सर्वेश्वरदयाल सक्सेना

उदास लड़के

घुँघरू परमार

गिरना

नरेश सक्सेना

अनुवाद

अनामिका

एक दिन

अखिलेश सिंह

प्रार्थना

नवीन रांगियाल

लगभग

अनुराग अनंत

ख़ाली आँखें

नवीन रांगियाल

पतंग

संजय चतुर्वेदी

मृत घोषित

अंकिता आनंद

सौंदर्य

निरंजन श्रोत्रिय

आदमी का गाँव

आदर्श भूषण

बिछड़ने की आशंकाएँ

नवीन रांगियाल

ग़लत जगह

नवीन रांगियाल

हंडा

नीलेश रघुवंशी

गुड़िया

कुँवर नारायण

ईंटें

नरेश सक्सेना

धरती सारी

अदिति शर्मा

पिता

नवीन रांगियाल

हम अब कुछ देर

विनोद कुमार शुक्ल

कोई लाके मुझे दे

दामोदर अग्रवाल

ख़ुशियों के गुप्तचर

गीत चतुर्वेदी

औरतें

शुभा

टॉर्च

मंगलेश डबराल

भव्यता के विरुद्ध

रविशंकर उपाध्याय

उतना ही असमाप्त

कुँवर नारायण

नीयत और नियति

अजंता देव

वह जहाँ है

अखिलेश सिंह

सेवानिवृत्ति

अविनाश मिश्र

समतल

आदर्श भूषण

सात दिन का सफ़र

मंगलेश डबराल

ख़ुशी

मलयज

प्यार

अच्युतानंद मिश्र

aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

हिन्दवी उत्सव, 27 जुलाई 2025, सीरी फ़ोर्ट ऑडिटोरियम, नई दिल्ली

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