दिल पर उद्धरण
कवियों-शाइरों के घर
दिल या हृदय एक प्रिय शब्द की तरह विचरता है, जहाँ दिल की बातें और दिल के बारे में बातें उनकी कविताई में दर्ज होती रहती हैं। यह चयन दिल पर ज़ोर रखती ऐसी ही कविताओं में से किया गया है।

हम जिन्हें छोड़ गए हैं उन हृदयों में जीवित रहना मृत्यु नहीं है।

अगर किसी प्रेमी का चेहरा आपके दिल पर अंकित है, तो दुनिया अभी भी आपका घर है।

घायल दिल पहले कम आत्म-सम्मान पर क़ाबू पाकर आत्म-प्रेम सीखता है।

मानव-हृदय की तरह, रेगिस्तान सागर बन जाता है और सागर रेगिस्तान बन जाता है।

चूँकि दुनिया मौत और आतंक से भरी हुई है, मैं बार-बार अपने दिल को सांत्वना देने की कोशिश करता हूँ और उन फूलों को चुनता हूँ जो नर्क में उगते हैं।

कोई समाज और धर्म स्त्रियों के नहीं। बहन! सब पुरुषों के हैं। सब हृदय को कुचलने वाले क्रूर हैं, फिर भी मैं समझती हूँ कि स्त्रियों का एक धर्म है, वह है आघात सहने की क्षमता रखना। दुर्देव के विधान ने उसके लिए यही पूर्णता बना दी है। यह उनकी रचना है।

यह लेखन के बारे में रहस्य है : यह कष्टों से, उन समयों से निकलता है—जब दिल को चीर दिया जाता है।

हम इन मृतात्माओं को अपने दिल में किस तरह रखते हैं। हममें से प्रत्येक व्यक्ति अपने भीतर अपना क़ब्रिस्तान रखता है।

जब दिल बोलता है, तब मन को उस पर आपत्ति करना अभद्र लगता है।

समाज ने स्त्रीमर्यादा का जो मूल्य निश्चित कर दिया है, केवल वही उसकी गुरुता का मापदंड नहीं। स्त्री की आत्मा में उसकी मर्यादा की जो सीमा अंकित रहती है, वह समाज के मूल्य से बहुत अधिक गुरु और निश्चित है, इसी से संसार भर का समर्थन पाकर जीवन का सौदा करने वाली नारी के हृदय में भी सतीत्व जीवित रह सकता है और समाज भर के निषेध से घिर कर धर्म का व्यवसाय करने वाली सती की साँसें भी तिल-तिल करके असती के निर्माण में लगी रह सकती हैं।

समाज धर्म के कारण से संगठित रहते हैं चाहे लोग उसका (धर्म का प्रदर्शन करें या उसे अपने हृदय में रखें। जब धर्म समाप्त हो जाता है तब पारस्परिक विश्वास भी नष्ट हो जाता है, लोगों का आचरण भ्रष्ट हो जाता है और उसका फल राष्ट्र को भुगतना पड़ता है। धर्म सुलाने वाला नहीं है अपितु शक्ति का आधार-स्तंभ है।

विश्व तुम्हारा बाहुबल नहीं, बल्कि नीरव आश्वासन और सुकुमार हृदय की शक्ति का निर्झर विश्वास ही चाहता है।

स्त्री का हृदय सर्वत्र एक है; क्या पूर्व क्या पश्चिम, क्या देश क्या विदेश |

तुम जो भी तहेदिल से प्राप्त करना चाहते हो, उसके प्रति सावधान रहो—क्योंकि वह निश्चित रूप से तुम्हारा होगा।

नेत्रों से प्रेम-रोग को अभिव्यक्त करके (पृथक न होने की) याचना करने में स्त्री का स्त्रीत्व-विशेष माना जाता है। ढिढोरा पीटने वाले मेरे जैसे नेत्र जिनके हों, उनके हृदय की गुप्त बातों को समझना दूसरों के लिए कठिन नहीं है।

संघर्ष पहाड़ की चोटियों पर नहीं, लोगों के दिलों और दिमाग़ों में शुरू और ख़त्म होता है।

दूसरे लोगों के दिलों को महसूस करने के लिए आपके पास दिल होना चाहिए।

अपने दिल का कहा मानो, लेकिन अपने दिमाग़ को साथ लेकर चलो।

लेखक का दिल, कवि का दिल, कलाकार का दिल, संगीतकार का दिल हमेशा टूटता रहता है। हम उस टूटी खिड़की से दुनिया को देखते हैं…

हर चीज़ के लिए समर्पित रहो, हृदय खोलो, ध्यान देकर सुनो।

दोस्ती में हम दूसरे व्यक्ति की आँखों से देखना, उसके कानों से सुनना और उसके दिल से महसूस करना सीखते हैं।

कलाकार का काम मानव हृदय में प्रकाश भेजना है।

पुरुषों के प्रति स्त्रियों का हृदय, प्रायः विषम और प्रतिकूल रहता है। जब लोग कहते हैं कि वे एक आँख से रोती हैं तो दूसरी से हँसती हैं, तब कोई भूल नहीं करते। हाँ, यह बात दूसरी है कि पुरुषों के इस विचार में व्यंग्यपूर्ण दृष्टिकोण का अंश है।

मनुष्य का हृदय समंदर जैसा है, इसमें तूफ़ान है; लहरें हैं और इसकी गहराई में मोती भी हैं।

‘‘पत्र तो कागज के टुकड़े हैं…’’ मैंने कहा, ‘‘उन्हें जला दो… और जो तुम्हारे दिल में रहेगा, वह रहेगा; उसे रख लो और जो मिटना है, वह मिट जाएगा।’’

मक्कार आदमी को अपनी भावनाओं पर जो अधिकार होता है, वह किसी बड़े योगी के लिए भी कठिन है। उसका दिल रोता है मगर होंठ हँसते हैं, दिल ख़ुशियों से मज़े लेता है मगर आँखें रोती हैं, दिल डाह की आग से जलता है, मगर ज़ुबान से शहद और शक्कर की नदियाँ बहती हैं।

स्त्री का हृदय प्रेम का रंगमंच है।

मेरे दिल में किसी वेश्यालय से भी अधिक जगह है।

ईश्वर केवल उन लोगों को छोड़ देता है जो ख़ुद को छोड़ देते हैं, और जो भी अपने दुख को अपने दिल के भीतर बंद रखने की हिम्मत रखता है, वह उससे लड़ने में—शिकायत करने वाले व्यक्ति से अधिक मज़बूत होता है।

हर व्यक्ति को जो चीज़ हृदयंगम हो गई है, वह उसके लिए धर्म है। धर्म बुद्धिगम्य वस्तु नहीं, हृदयगम्य है। इस लिए धर्म मूर्ख लोगों के लिए भी है।

पति को जिस स्त्री ने हृदय से धर्म के रूप में विचारन नहीं सीखा, उसके पैरों की जंजीर चाहे हमेशा बँधी हो रहे चाहे खुल जाए और अपने सतीत्व के जहाज़ को वह चाहे जितना भी बड़ा क्यों न समझती हो, परीक्षा के दलदल में पड़ने पर उसे डूबना ही पड़ेगा। वह पर्दे के अंदर भी डूबेगी और बाहर भी डूबेगी।

यहाँ तक कि भेड़िये के दिल में दो, और दो से अधिक आत्माएँ होती हैं।

जो हृदय संसार की जातियों के बीच अपनी जाति की स्वतंत्र सत्ता का अनुभव नहीं कर सकता, वह देशप्रेम का दावा नहीं कर सकता।

आपको लगता है कि आपका दर्द और आपका दिल टूटना दुनिया के इतिहास में अभूतपूर्व है, लेकिन फिर आप पढ़ते हैं।

जब दिल की बात आती है तो मैं कायर हूँ। यह मेरा घातक दोष है।

पुरुष हृदय न था, नारी ने उसे आधा हृदय देकर मनुष्य बनाया।

मैंने उसे अपना दिल दिया, और उसने लेकर उसे कुचलकर मार डाला : और मेरी ओर वापस उछाल दिया। …और चूँकि उसने मेरा दिल नष्ट कर दिया, मेरे पास उसके लिए कोई भावनाएँ नहीं हैं।

एक बेहतर किताब हृदय को शिक्षित करती है।

दानशीलता हृदय का गुण है, हाथों का नहीं।

हृदय में दूषित विचार का आना भी दोष ही है।

जहाँ मेरा हृदय है, वहीं मेरा भाग्य है!

विधाता को दोष देती हूँ कि उन्होंने क्यों इतने कोमल और जल के समान तरल पदार्थ से नारी का हृदय गढ़ा था।

तुम वही शरद्कालीन अमृतमयी ज्योत्स्ना हो, जो विषाद की घन घटाओं को दूर करती है। तुम्हारे हृदय के पुण्य स्पर्श मात्र से दरिद्र की कुटिया शांति निकेतन बन जाती है।

धर्म की शिक्षा लौकिक विषयों की तरह नहीं दी जाती, हृदय की भाषा में दी जाती है।

मैंने तुम्हारे दिल को नहीं तोड़ा—तुमने खुद उसे तोड़ा है : और उसे तोड़कर तुमने मेरा दिल तोड़ दिया।

प्रथम हृदय है, और फिर बुद्धि। प्रथम सिद्धांत और फिर प्रमाण। प्रथम स्फुरणा और फिर उसके अनुकूल तर्क। प्रथम कर्म और फिर बुद्धि। इसीलिए बुद्धि कर्मानुसारिणी कही गई है। मनुष्य जो भी करता है, या करना चाहता है उसका समर्थन करने के लिए प्रमाण भी ढूँढ़ निकालता है।

मोहित करती हैं, मदयुक्त बनाती हैं, उपहास करती हैं भर्त्सना करती हैं, प्रमुदित करती हैं, दुःख देती हैं। ये स्त्रियाँ पुरुषों के दयामय हृदयों में प्रवेश कर क्या नहीं करती हैं?

एक दुर्भेद्य नारी-हृदय में विश्व-प्रहेलिका का रहस्यबीज है।

हृदय में देवासुर संग्राम चलता ही रहता है। कब असुर भरमाता है और कब देव रास्ता बताता है, यह सदा नहीं जान सकते। इसलिए धर्म सिखाता है कि जो को जगाना चाहता है उसे यम नियमादि रूपी तलवार धार पर चलना पड़ेगा।

नारी के हृदय का स्नेह उसका सबसे बड़ा बंधन है।
aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
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