
हर निर्णय मुक्ति प्रदान करता है, तब भी जब वह विनाश की ओर ले जाए। अन्यथा, क्यों इतने सारे लोग आँखें खोलकर सीधा चलते हुए अपने दुर्भाग्य में दाख़िल होते?

ख़ुद को मुक्त करना एक बात थी, उस मुक्त निज के स्वामित्व का दावा करना और बात थी।

तुम्हें तब तक मुक्ति न मिले, जब तक मैं ज़िंदा हूँ।

अपने मूल स्वभाव को जानना ही मुक्ति है।

दुःख सबको भाँजता है
और—
चाहे स्वयं सबको मुक्ति देना वह न जाने, किंतु जिनको भाँजता है उन्हें यह सीख देता है कि सबको मुक्त रखें।

वृद्धों और पागलों पर कोई दया नहीं करता।

दैवी संपदा तो मुक्ति देने वाली और आसुरी संपदा बंधन में डालने वाली है, ऐसा माना जाता है।
aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere