व्यंग्य पर कविताएँ

व्यंग्य अभिव्यक्ति की

एक प्रमुख शैली है, जो अपने महीन आघात के साथ विषय के व्यापक विस्तार की क्षमता रखती है। काव्य ने भी इस शैली का बेहद सफल इस्तेमाल करते हुए समकालीन संवादों में महत्त्वपूर्ण योगदान किया है। इस चयन में व्यंग्य में व्यक्त कविताओं को शामिल किया गया है।

ढूँढ़ते रह जाओगे

अरुण जैमिनी

कोरोना काल में

पंकज चतुर्वेदी

चिड़िया

शरद जोशी

अवांछित लोग

कुमार अम्बुज

फिर जो होना था

संजय चतुर्वेदी

कविता और टैक्स-इंसपेक्टर

व्लादिमीर मायाकोव्स्की

कविता-पाठ

असद ज़ैदी

प्रेम-संगीत

कांतानाथ पांडेय 'चोंच'

यूँ नहीं

अखिलेश सिंह

कचरा

निखिल आनंद गिरि

बच्चे

अमिताभ

आभार

पंकज चतुर्वेदी

दाँत

मिरोस्लाव होलुब

नृत्य-नृत्य

युम्लेम्बम इबोमचा सिंह

अंतिम बात

युम्लेम्बम इबोमचा सिंह

डेमोक्रेसी

अशोक चक्रधर

हाथी

वीरेन डंगवाल

हमारी लाचारी

असद ज़ैदी

चेतावनियाँ

निकानोर पार्रा

पढ़िए गीता

रघुवीर सहाय

मज़दूर और मसीह

अलेक्सेइ खोम्याकोव

आश्चर्य

कुसुमाग्रज

स्त्री

नंद चतुर्वेदी

साहित्य में

संजय चतुर्वेदी

हे मृत्यु

आरुद्र

शिशुओं को सिर्फ़

नवारुण भट्टाचार्य

लेकिन गोदाम में नौकरी?

सितांशु यशश्चंद्र

शोकसभा

मनमोहन

कवि की नई प्रेमिका

शैलेंद्र कुमार शुक्ल

मैं अन्नदाता नहीं हूँ

रामस्वरूप किसान

ज़ोर

रचित

जाति के लिए

पंकज चतुर्वेदी

एक पशु-कथा

सुरजीत पातर

aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere