रांगेय राघव की संपूर्ण रचनाएँ
कहानी 2
उद्धरण 13

प्रेम से प्रेम करने वाली आँख का पानी जब घास पर पड़ता है तो ओस का हीरा बनकर चमकता है, जब इंसान पर ज़ुल्म देखा है तो अँगारा बन कर गिरता है, जब दर्द देखकर गिरता है तो लहू की बूंद बनकर, और जब इंसान को भूखा देखता है तो वह गेहूँ बन जाता है। और नफ़रत से प्रेम करने वाली आँखों का पानी जब घास पर पड़ता है तो घास झुलस जाती है, जब इंसान पर ज़ुल्म देखता है तो उसमें बर्फ़ की-सी बे-दिल ठंडक आ जाती है, जब दर्द देखकर गिरता है तो बंदूक़ की गोली बनकर और जब इंसान को भूखा देखता है तो वह ग़ुलामी का दस्तावेज़ बन जाता है।