भाषा पर कविताएँ

भाषा मानव जाति द्वारा

प्रयुक्त वाचन और लेखन की प्रणाली है जिसका उपयोग वह अपने विचारों, कल्पनाओं और मनोभावों को व्यक्त करने के लिए करता है। किसी भाषा को उसका प्रयोग करने वाली संस्कृति का प्रतिबिंब कहा गया है। प्रस्तुत चयन में कविता में भाषा को एक महत्त्वपूर्ण इकाई के रूप में उपयोग करती कविताओं का संकलन किया गया है।

मातृभाषा की मौत

जसिंता केरकेट्टा

अगर यह हत्या थी

महेश वर्मा

मौन

आरती अबोध

अ-भाषा में

बाबुषा कोहली

भानजी के टीथ

अंजुम शर्मा

हिंदी

प्रभात

हिंदी

अनुभव

दुःख से कैसा छल

ज्याेति शोभा

प्रतिज्ञा

कुशाग्र अद्वैत

समय के उलट

अंजुम शर्मा

अपनी भाषा में शपथ लेता हूँ

विनोद कुमार शुक्ल

यथार्थ

सुधीर रंजन सिंह

अक्षर

राजेंद्र यादव

उर्दू को उत्तर

बालमुकुंद गुप्त

मैंने सराफ़ से पूछा

सर्गेई येसेनिन

संस्कृत

रघुवीर सहाय

बहरा

समृद्धि मनचंदा

हिंदी

पंकज चतुर्वेदी

वरिष्ठ कवियो

कृष्ण कल्पित

खड़ी बोली

अविनाश मिश्र

ज्ञ

प्रकाश

शिशु

नरेश सक्सेना

इसलिए बोलो

प्रदीप सैनी

शब्दों के पार

लनचेनबा मीतै

एक भाषा में

रवि प्रकाश

रोने की भाषा

राकेश कुमार मिश्र

भाषा

देवी प्रसाद मिश्र

हिंदी का नमक

कमल जीत चौधरी

उस भाषा में

सुतिंदर सिंह नूर

लामकाँ है भाषा

नंदकिशोर आचार्य

हिंदी

आस्तीक वाजपेयी

दूसरा कोना

मनोज कुमार झा

भाष्य

गोविंद द्विवेदी

मुझे नहीं मालूम

गार्गी मिश्र

भाषा

मलयज

aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere