
वास्तव में संकट इस तथ्य में है कि पुराना निष्प्राण हो रहा है और नया जन्म नहीं ले सकता।

ख़ुद को किताब की समस्याओं में डुबाना प्यार के बारे में सोचने से बचने का अच्छा तरीक़ा है।

जब दिल बोलता है, तब मन को उस पर आपत्ति करना अभद्र लगता है।

कठिनाइयों पर क़ाबू पाने से हममें साहस और स्वाभिमान आता है और हम ख़ुद को जान लेते हैं।

मैंने जितनी भी मुश्किलें झेली हैं, वे मुझे एक भयानक दर्द के लिए तैयार करने की दिशा में केवल पूर्वाभ्यास थीं।

हम सभी—पुरुषों और स्त्रियों—के लिए मुख्य समस्या सीखना नहीं है, बल्कि सीखे हुए को भूल जाना है।

मेरी मुश्किलें मेरी अपनी हैं।

मैं बूढ़ा हूँ और मैंने बहुत सारी मुसीबतों को जाना है, लेकिन उनमें से ज़्यादातर कभी घटित नहीं हुई हैं।

जिनसे कोई भयभीत नहीं होता और जो स्वयं भी किसी से भयभीत नहीं होते तथा जिनकी दृष्टि में ये सारा जगत अपनी आत्मा के ही तुल्य है, वे दुस्तर संकटों से तर जाते हैं।


दर्शनशास्त्र : असाध्य समस्याओं के अबोधगम्य उत्तर।
aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere