
बुद्धिमान् पुरुष ज्ञानवान होने पर भी बिना पूछे या अन्यायपूर्वक पूछने पर किसी को कोई उपदेश न करे, जड़ की भाँति चुपचाप बैठा रहे।

प्रायः बुद्धिमान ही उपदेश के योग्य होते हैं, मूर्ख नहीं।

हम माँ का स्तनपान करके बड़े होते हैं, इसलिए माँ के उपदेश और शिक्षा जितना प्रभाव डाल सकते हैं, उतना अन्य बातें नहीं।

उपदेश करो अपने लिए, तभी तुम्हारा उपदेश सार्थक होगा। जो कुछ दूसरों से करवाना चाहते हो, उसे पहले स्वयं करो; नहीं तो तुम्हारे नाटक के अभिनय के सिवा और कुछ भी नहीं है।

अन्य किसी वस्तु को हम इतनी अनिच्छा से नहीं स्वीकारते जितना उपदेश को।
aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere