
ईश्वर इतना दूर है कि कोई भी उसके बारे में कुछ नहीं कह सकता है और यही कारण है कि ईश्वर के बारे में सभी विचार ग़लत हैं और साथ ही वह इतना क़रीब है कि हम उसे देख ही नहीं सकते, क्योंकि वह व्यक्ति में आधार या रसातल है। आप इसे जो चाहें कह सकते हैं।

तुम एक बहरे व्यक्ति का दरवाज़ा ताउम्र खटखटाते रह सकते हो।

व्यक्ति के अंदर वह है जो समाप्त हो जाएगा और वह उसके साथ मिल जाएगा जो हर चीज़ में अदृश्य है।

हर आदमी भगवान की छवि में बना है, भले ही उसमें इसे भूलने की प्रवृत्ति हो।

ताक़त के विरुद्ध मनुष्य का संघर्ष भूलने के विरुद्ध स्मृति का संघर्ष है।

कोई व्यक्ति जो करता है, उसमें माहिर हो सकता है; लेकिन वह जो महसूस करता है, उसमें कभी नहीं।

यात्रा व्यक्ति को विनम्र बनाती है। आप देखते हैं कि दुनिया में आपका स्थान कितना छोटा है।

शांत रहें : संयम में असमर्थ कोई भी व्यक्ति कभी लेखक नहीं बना।

जब ताक़तवर लोग इतने कमज़ोर थे कि वे कमज़ोर को नुक़सान नहीं पहुँचा सकते थे, तब कमज़ोर व्यक्तियों को इतना मज़बूत होना चाहिए था कि वे चले जाते।

आदमी अपनी अज्ञानता के लिए ख़ुद ज़िम्मेदार है।

जब कोई व्यक्ति कुछ भी या किसी को भी गंभीरता से नहीं लेता, वह उदास जीवन जीता है।

जानवर इंसानों जितने बुद्धिमान नहीं होते, इसलिए उन्होंने छिपने की कला नहीं सीखी है। लेकिन मनुष्य में और उनमें बुद्धि को छोड़कर बाक़ी सभी चीज़ें समान स्तर की होती हैं। उन्होंने अपनी कुटिल बुद्धि से वितरण की व्यवस्था बनाकर अपने पशुवत कर्मों को छुपाने के लिए सुरक्षित अंधकार पैदा कर लिया है।

सिर्फ़ महाकाव्यों में ही लोग एक-दूसरे को मार डालने के पहले गालियों का आदान-प्रदान करते हैं। जंगली आदमी, और किसान, जो काफी कुछ जंगली जैसा ही होता है, तभी बोलते हैं जब उन्हें दुश्मन को चकमा देना होता है।

मुझे लगता है कि व्यक्ति ईश्वर से आता है और ईश्वर के पास वापस जाता है, क्योंकि शरीर की कल्पना की जाती है और जन्म होता है, यह बढ़ता है और घटता है, यह मर जाता है और ग़ायब हो जाता है; लेकिन जीवात्मा शरीर और आत्मा का मेल है, जिस तरह एक अच्छी तस्वीर में आकार और विचार का अदृश्य संगम होता है।

जो व्यक्ति अपनी गोपनीयता खो देता है, वह सब कुछ खो देता है; और जो आदमी जो इसे अपनी मर्ज़ी से त्याग देता है, वह राक्षस है।

हम इन मृतात्माओं को अपने दिल में किस तरह रखते हैं। हममें से प्रत्येक व्यक्ति अपने भीतर अपना क़ब्रिस्तान रखता है।

स्त्री ही व्यक्ति को बनाती है, घर को—कुटुंब को बनाती है, जाति और देश को भी।

धर्माचरण द्वारा हल्के बने हुए पुरुष संसार सागर में जल में पड़ी नौका के समान तैरते रहते हैं, किंतु पाप से भारी बने हुए व्यक्ति पानी में फेंके गए शस्त्र की भाँति डूब जाते हैं।

एक व्यक्ति द्वारा दूसरे व्यक्ति का धर्म परिवर्तन करने को मैं उचित नहीं मानता। मेरी कोशिश किसी दूसरे के धार्मिक विश्वास को हिलाने की या उनकी नींव खोदने की नहीं, बल्कि उसे अपने धर्म का एक अच्छा अनुयायी बनाने की होनी चाहिए। इसका तात्पर्य है सभी धर्मों की सच्चाई में विश्वास और इस कारण उन सबके प्रति आदरभाव का होना। इसका यह बी मतलब है कि हममें सच्ची विनयशीलता होनी चाहिए, इस तथ्य की ल्वीकृति होनी चाहिए कि चूँकि सभी धर्मों को हाड़-माँस के अपूर्ण माध्यम से दिव्य-ज्ञान प्राप्त हुआ है, इसलिए सभी धर्मों में कम या ज़्यादा मात्रा में मानवीय अपूर्णताएँ मौजूद हैं।

किताबें उन लोगों के लिए हैं जो चाहते हैं कि वे कहीं और हों।

प्रत्येक व्यक्ति की अपनी मूर्खता है, लेकिन सबसे बड़ी मूर्खता है—मूर्खता का न होना।

प्रत्येक विक्षिप्त व्यक्ति आंशिक रूप से सही है।

कोई व्यक्ति ईमानदार है या नहीं, यह पता लगाने का एक तरीक़ा है : उससे पूछो; अगर वह हाँ कहता है, तो आप जानते हैं कि वह कुटिल है।

मनुष्य का हृदय समंदर जैसा है, इसमें तूफ़ान है; लहरें हैं और इसकी गहराई में मोती भी हैं।

जब कोई व्यक्ति किसी ऐसे व्यक्ति के साथ रहता है जो वही किताब पढ़ता है जिसे वह पढ़ता है तो पढ़ने का आनंद दोगुना हो जाता है।

आदमियों की तरह यादों और विचारों की उम्र बढ़ती है। लेकिन कुछ विचार कभी बूढ़े नहीं हो सकते हैं और कुछ यादें कभी फीकी नहीं पड़ सकतीं।

मनुष्य एक दूसरे के प्रति भयानक रूप से क्रूर हो सकते हैं।

जो व्यक्ति पढ़ता नहीं है, वह उस व्यक्ति से बेहतर नहीं है जो पढ़ नहीं सकता है।

केवल मरे हुए लोग ही सदा सत्रह के रहते हैं।

जो आदमी उस जगह को छोड़ना चाहता है, जहाँ वह रहता है, वह दुखी आदमी है।

आप दो व्यक्तियों के आपसी प्रेम को उनके द्वारा परस्पर बोले गए शब्दों से नहीं माप सकते हैं।

रसोई इंसानों के होने का गवाह होती है।

रूप व्यक्ति-सत्य है, नाम समाज सत्य।

वस्तुतः स्त्रियों को अपने इष्ट व्यक्ति (प्रियतम) के प्रवास से उत्पन्न दुःख अत्यंत असह्य होते हैं।

नारी के लिए पति परम पूजनीय व्यक्ति है। सबसे बड़ा गुरुजन है। लेकिन इसका अर्थ यह नहीं है कि स्त्री पुरुष की दासी है। यह संस्कार नारी को जितना छोटा, जितना तुच्छ कर देता है, उतना और कुछ नहीं।

हम अपने जीवन में साधारण व्यक्तियों से नहीं मिलते हैं।

व्यक्ति यदि धार्मिक है तो उसे अपना धन याचकों में वितरित कर देना चाहिए, यदि वह नास्तिक है तो उसे धन का भोग-विलास में उपयोग करना चाहिए, यदि मनुष्य धन को स्पर्श भी न करके छिपा कर रखता है तो उसमें उसका क्या हेतु है, यह हमारी समझ में नहीं आता।

सज्जन व्यक्ति वह होता है जो वह नहीं करता जो वह करना चाहता है, बल्कि वह करता है जो उसे करना चाहिए।

जब आप तूफ़ान से बाहर आते हैं, तो आप वही व्यक्ति नहीं होते हैं जो तूफ़ान से पहले थे। तूफ़ान आने का अर्थ यही है।

श्रेष्ठ व्यक्ति का सम्मान करके उन्हें अपना बना लेना दुर्लभ पदार्थों से भी अधिक दुर्लभ है।

अपने-अपने जीवनदान द्वारा भी जन्मभूमि की रक्षा करनी चाहिए। बुद्धिमान व्यक्ति अल्प वस्तु के त्याग द्वारा महान् वस्तु की रक्षा करें।

जो लोग दोनों आँखें खोले हुए देखते हैं, लेकिन वास्तव में देख नहीं पाते, उन्हीं के कारण सारी गड़बड़ी है। वे आप भी ठगे जाते हैं और दूसरों को भी ठगने से बाज़ नहीं आते।

लोग कहते हैं—दुष्ट के सारे ही काम अपराध होते हैं। दुष्ट कहता है— मैं भला आदमी हो जाता किंतु लोगों के अन्याय ने मुझे दुष्ट बना दिया है।

कुछ विद्वानों का मत है कि वेदों में प्रतिपादित वस्तु ही धर्म है किंतु दूसरे लोग धर्म का यह लक्षण स्वीकार नहीं करते। हम किसी भी मत पर दोषारोपण नहीं करते। इतना अवश्य है कि वेद में सभी बातों का विधान नहीं है।

जो व्यक्ति ज्ञान की तलवार से तृष्णा को काटकर, विज्ञान की नौका से अज्ञान रूपी भवसागर को पार कर, विष्णुपद को प्राप्त करता है, वह धन्य है।

हिन्दुस्तान का उद्धार हिन्दुस्तान की जनता पर निर्भर है। जनता में अपनी योग्यता के अनुसार यह भाव पैदा करना प्रत्येक स्वदेशवासी का परम धर्म है।

कोई मनुष्य, चाहे कितने ही दुःख में क्यों न हो, उस व्यक्ति के सामने अपना शोक प्रकट करना नहीं चाहता जिसे वह अपना सच्चा मित्र न समझता हो।

जो स्वयं भी न भोगे और उपयुक्त व्यक्ति को भी कुछ न दे, वह विशाल संपत्ति के लिए एक व्याधि है।

महापुरुषों के गुण क्षुद्र लोगों के नीरस और निष्ठुर मनों को भी इस प्रकार खींच लेते हैं जैसे चुंबक लोहे को, फिर जो स्वभाव से ही सरस और कोमल स्वभाव के लोग हैं, उनकी तो बात ही क्या?

किस व्यक्ति की दृष्टि युवती की ओर नहीं जाती?कौन-सा भ्रमर लता की इच्छा नहीं करता?
aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
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