Font by Mehr Nastaliq Web

शत्रु पर उद्धरण

शत्रु ऐसे अमित्र को

कहा जाता है जिसके साथ वैमनस्य का संबंध हो और जो हमारा अहित चाहता हो। आधुनिक विमर्शों में उन अवधारणाओं और प्रवृत्तियों की पहचान भी शत्रु के रूप में की गई है जो प्रत्यक्षतः या परोक्षतः आम जनमानस के हितों के प्रतिकूल सक्रिय हों। प्रस्तुत चयन में शत्रु और शत्रुता विषय का उपयोग कर वृहत संदर्भ-प्रसंग में प्रवेश करती कविताओं का संकलन किया गया है।

quote

शत्रु में दोष देखकर बुद्धिमान झट वहीं क्रोध को व्यक्त नहीं करते हैं, अपितु समय को देखकर उस ज्वाला को मन में ही समाए रखते हैं।

तिरुवल्लुवर
quote

घर पर आए शत्रु का भी उचित आतिथ्य करना चाहिए। काटने के लिए आए हुए व्यक्ति पर से भी वृक्ष अपनी छाया को हटाता नहीं है।

वेदव्यास
quote

सिर्फ़ महाकाव्यों में ही लोग एक-दूसरे को मार डालने के पहले गालियों का आदान-प्रदान करते हैं। जंगली आदमी, और किसान, जो काफी कुछ जंगली जैसा ही होता है, तभी बोलते हैं जब उन्हें दुश्मन को चकमा देना होता है।

ओनोरे द बाल्ज़ाक
quote

हमारे आधुनिक राष्ट्र भविष्य के दुश्मन को जाने बिना ही युद्ध की तैयारी कर रहे हैं।

अल्फ़्रेड एडलर
quote

पुरुष दुश्मन नहीं है, बल्कि सहचर पीड़ित है। असली शत्रु स्त्रियों द्वारा ख़ुद की आलोचना करना है।

बेट्टी फ्रीडन
quote

वह अपनी प्रतिष्ठा में इतना अकेला पड़ गया था कि उसका कोई शत्रु तक नहीं बचा।

गाब्रिएल गार्सीया मार्केस
quote

हे राजा! धन से धर्म का पालन, कामना की पूर्ति, स्वर्ग की प्राप्ति, हर्ष की वृद्धि, क्रोध की सफलता, शास्त्रों का श्रवण और अध्ययन तथा शत्रुओं का दमन—ये सभी वही कार्य सिद्ध होते हैं।

वेदव्यास
quote

घृणा हमें हमारे विरोधी से बहुत मज़बूती से बाँधकर हमें अपने जाल में फँसा लेती है।

मिलान कुंदेरा
quote

जलती हुई आग से सुवर्ण की पहचान होती है, सदाचार से सत्य पुरुष की, व्यवहार से श्रेष्ठ पुरुष की, भय प्राप्त पर शूर की, आर्थिक कठिनाई में धीर की और कठिन आपत्ति में शत्रु एवं मित्र की परीक्षा होती है।

वेदव्यास
quote

असली खलनायक बेहद आकर्षक होते हैं।

वॉलेस स्टीवंस
quote

जब कोई पराक्रमी अपने बल से अपने शत्रुओं को जीत लेता है तो उसका प्रणाम भी उसकी कीर्ति ही बढ़ाता है।

कालिदास
  • संबंधित विषय : जीत
quote

शत्रुओं के द्वारा जो सच्चे हों ऐसे छोटे छोटे दोषों का आरोपण सज्जनों की निर्दोषता को सूचित करता है क्योंकि यदि सत्य दोष होगा तो झूठा दोष आरोपण करने के लिए कोई उद्योग नहीं करेगा।

श्रीहर्ष
quote

दुर्दशा शत्रुओं के मन में भी मंत्री भाव ला देती है।

भास
quote

हाथी बाँधा जा सकता है, सिंह रोका जा सकता है, युद्ध में शत्रु सेना जीती जा सकती है किंतु परपुरुष में आसक्त दुश्चरित्रा स्त्री का मन नहीं रोका जा सकता।

पुष्पदंत
quote

एक (बुद्धि) से दो (कर्तव्य और अकर्तव्य) का निश्चय करके, चार (साम, दान, दंड, भेद) से तीन (शत्रु, मित्र तथा उदासीन) को वश में कीजिए। पाँच (इंद्रियों) को जीतकर छड़ (संधि, विग्रह, यान, आसन, द्वैधी भाव और समाश्रय रूप गुणों) को जानकर, सात (स्त्री, जुआ, मृगया, मद्य, कठोर वचन, दंड की कठोरता और अन्याय से धनो-पार्जन) को छोड़कर सुखी हो जाइए।

वेदव्यास
quote

स्नान करने, दान देने, शास्त्र पढ़ने, वेदाध्ययन करने को तप नहीं कहते। तप योग ही है और यज्ञ करना। तप का अर्थ है वासना को छोड़ना, जिसमें काम-क्रोध का संसर्ग छूटता है।

संत एकनाथ
quote

तंग मज़हबों में सीमित हो जाओ। राष्ट्रीयता को स्थान दो। भ्रातृत्व, मानवता तथा आध्यात्मिकता को स्थान दो। द्वैत-भावना की मलिन दृष्टि को त्याग दो- तुम भी रहो, मैं भी रहूँ।

किशनचंद 'बेवस'
quote

हे राजन्! जिसके हाथ, पैर और मन अपने वश में हों तथा जो विद्वान् तपस्वी और यशस्वी हो, वही तीर्थसेवन का फल पाता है। जो प्रतिग्रह से दूर हो, जो अपने पास जो कुछ है उसी से संतुष्ट रहे और जो अहंकार रहित हो, वही तीर्थं का फल पाता है। जो दंभ आदि दोषों से रहित हो, कर्तृत्व के अहंकार से रहित हो, अल्पाहारी हो और जितेंद्रिय हो, वह सब पापों से मुक्त होकर तीर्थ का फल पाता है। जिसमें क्रोध हो, जो सत्यवादी और दृढ़व्रती हो तथा जो सब प्राणियों के प्रति आत्मभाव रखता हो, वही तीर्थ का फल पाता है।

वेदव्यास
quote

बुद्धिमान मनुष्य तीक्ष्ण शत्रु को तीक्ष्ण शत्रु से नष्ट कर देता है। सुख की प्राप्ति हेतु कष्टकारक काँटे को काँटे से ही निकालते हैं।

विष्णु शर्मा
quote

मित्र को क्षमा करने की अपेक्षा शत्रु को क्षमा कर देना सरल है।

विलियम ब्लेक
quote

कौरवों! वीर पुरुष शत्रु को मारकर इस लोक में सुख भोगता है और यदि मारा गया तो परलोक में जाकर महान फल का भागी होता है, अतः युद्ध धर्म से बढ़कर स्वर्ग की प्राप्ति के लिए दूसरा कोई कल्याणकारी मार्ग नहीं है।

वेदव्यास
quote

संसार की कोई भी नारी ऐसे पुत्र को जन्म दे, अमर्षशून्य, उत्साहहीन, बल और पराक्रम से रहित तथा शत्रुओं का आनंद बढ़ाने वाला हो।

वेदव्यास
quote

विद्वान पुरुष कभी दुर्बल-से-दुर्बल शत्रुओं को नष्ट करने के लिए किसी अवसर की प्रतीक्षा नहीं करते। विशेषतः संकट में पड़े हुए शत्रुओं को मारकर बुद्धिमान पुरुष धर्म और यश का भागी होता है।

वेदव्यास
quote

कुश्ती का उद्देश्य सुरुचिपूर्ण स्पर्धा ही होनी चाहिए, निर्दयता का प्रसार नहीं। जिसके शरीर में बल है और पास में मल्लशास्त्र का ज्ञान है वह आवश्यकता पड़ने पर शत्रु को परास्त कर सकता है और दुष्ट को दंड दे सकता है परंतु अखाड़े में प्रतिस्पर्धी के हाथ-पाँव तोड़ना कदापि श्लाघ्य नहीं है।

सम्पूर्णानंद
quote

हे निशाचर! जो लोक-विरोधी कठोर कर्म करने वाला है, उसे सब लोग सामने आए हुए दुष्ट सर्प की भाँति मारते हैं।

वाल्मीकि
quote

मंगल पांडे ने सत्तावन के इस क्रांतियुद्ध के लिए अपना उष्ण रक्त प्रदान किया था। किंतु इसके साथ ही साथ उसने अपना नाम भी अमिट रहने वाले अक्षरों में कर दिया। स्वधर्म और स्वराज्य हेतु लड़े गए 1857 के स्वातंत्र्य-समर में भाग लेने वाले सभी क्रांतिकारियों को भी इस क्रांति के शत्रुओं ने 'पांडे' नाम से संबोधित किया। प्रत्येक माता का यह पावन दायित्व है कि अपने बालक को इस पवित्र नाम का स्वाभिमान सहित उच्चारण करना सिखला दे।

विनायक दामोदर सावरकर
quote

महान पुरुष तो शरणागत शत्रुओं पर भी अनुग्रह करते हैं। बड़ी नदियाँ अपनी सपत्नी पहाड़ी नदियों को भी सागर तक पहुँचा देती हैं।

माघ
quote

शत्रु लोग गणराज्य के लोगों में भेदबुद्धि पैदा करके तथा उनमें से कुछ लोगों को धन देकर भी समूचे संघ में फूट डाल देते हैं अतः संघबद्ध होना ही गणराज्य के नागरिकों का महान आश्रय है।

वेदव्यास
quote

जो उदासीन रहने के कारण त्रिगुणों से चंचल नहीं होता और गुण ही अपना कार्य करते हैं, ऐसा मानकर ही जो स्वस्थ रहता है तथा कंपायमान नहीं होता, जो सुख-दुःख को समान मानता है, जो अपने में ही आनंदित रहता है, जो मिट्टी, पत्थर और स्वर्ण को समान मानता है, जो प्रिय अथवा अप्रिय की प्राप्ति होने पर सम अवस्था में रहता है, जो धैर्यवान है, जिसको अपनी निंदा और स्तुति समान प्रिय होती है, जिसको अपने मान और अपमान समान लगते हैं, जो मित्र और शत्रु के साथ समभाव से व्यवहार करता है तथा जो सब कार्यारंभों को त्याग देता है, वही त्रिगुणातीत कहा जाता है।

वेदव्यास
quote

जिसे भगवान् बचाता है, उसका शत्रु क्या कर सकता है? उसकी तो छाया को भी शत्रु नहीं छू सकता। उसके प्रति असमर्थ शत्रु के प्रयत्न निष्फल हो जाते हैं।

गुरु गोविंद सिंह
quote

ग़लत युद्ध, ग़लत स्थान पर, ग़लत समय पर और ग़लत शत्रु के साथ।

उमर नेल्सन ब्रैडली
quote

वत्स! जो सदा क्षमा ही करता है, उसे अनेक दोष प्राप्त होते हैं उसके भृत्य, शत्रु तथा उदासीन सभी उसका तिरस्कार करते हैं।

वेदव्यास
quote

काम अर्थात् विषय-भोगों से श्रद्धा करो तो वे ठगते हैं। प्रेम करो तो वे हानि पहुँचाते हैं। छोड़ना चाहो तो छूटते नहीं। वे कष्टप्रद शत्रु हैं।

भारवि
quote

जब जितेंद्रियता ही अपनी रक्षा करे तो शत्रु जीत नहीं सकता।

भारवि
quote

कंजूस आदमी के दुश्मन सब होते हैं, दोस्त कोई नहीं होता। हर व्यक्ति को उससे नफ़रत होती है।

प्रेमचंद
quote

धुआँ देने के लिए मत जल। ज़ोर-ज़ोर से प्रज्वलित हो और देगपूर्वक आक्रमण करके शत्रु सैनिकों का संहार कर डाल। तू एक मुहूर्त या एक क्षण के लिए भी वैरियों के मस्तक पर जलती हुई आग बनकर छा जा।

वेदव्यास
quote

मनुष्य स्वयं ही अपना बंधु है, स्वयं ही अपना शत्रु है, स्वयं ही अपने कर्म और अकर्म का साक्षी है।

वेदव्यास
quote

तेजस्वी पुरुष सशस्त्र भुजा रूपी डोंगी से शत्रु द्वारा मारे गए कुटुंब के दुःखरूपी सागर को पार करता है।

भट्टनारायण
quote

जिसने अपने आपको जीत लिया, वह स्वयं अपना बंधु है। परंतु जिसने अपने आपको नहीं जीता, वह स्वयं अपने शत्रुत्व में शत्रुवत बर्तता है।

वेदव्यास
quote

कोई कितना ही शुद्ध और उद्योगी क्यों हो, लोग उस पर दोषारोपण कर ही देते हैं। अपने धार्मिक कर्मों में लगे हुए वनवासी मुनि के भी शत्रु, मित्र और उदासीन ये तीन पक्ष पैदा हो जाते हैं।

वेदव्यास
quote

निर्धनता मनुष्य में चिंता उत्पन्न करती है, दूसरों से अपमान कराती है, शत्रुता उत्पन्न करती है, मित्रों में घृणा का पात्र बनाती है और आत्मीय जनों से विरोध कराती है। निर्धन व्यक्ति की घर छोड़कर वन चले जाने की इच्छा होती है, उसे स्त्री से भी अपमान सहना पड़ता है। ह्रदयस्थित शोकाग्नि एक बार ही जला नहीं डालती अपितु संतप्त करती रहती है।

शूद्रक
quote

बुरा मनुष्य भला और मनुष्य बुरा हो जाया करता है। शत्रु भी मित्र बन जाता है और मित्र भी बिगड़ जाता है।

वेदव्यास
quote

मनुष्य अपना उद्धार अपने-आप करे, स्वयं अपनी अवनति या दुर्गति करे। प्रत्येक मनुष्य स्वयं ही अपना मित्र और स्वयं ही अपना शत्रु है।

वेदव्यास
quote

चिंता जीवन की शत्रु है।

विलियम शेक्सपियर
quote

अपनी वृद्धि और शत्रु की हानि—यही दो नीति की बात हैं। इन्हीं दोनों बातों को स्वीकार कर कुशल मनुष्य अपनी वाक्पटुता का विस्तार करते हैं।

माघ
quote

ॠण, अग्नि और शत्रु शेष रह जाने पर बार-बार बढ़ते हैं, इसलिए इनमें से किसी को शेष नहीं छोड़ना चाहिए।

वेदव्यास
quote

हे राजा युधिष्ठिर! क्रिया ही बलवान् है, दूसरी कोई वस्तु नहीं।

वेदव्यास
quote

स्त्री मूलतः स्त्री की शत्रु होती है।

रांगेय राघव
quote

तू तिंदुक की जलती हुई लकड़ी के समान दो घड़ी के लिए भी प्रज्वलित हो जो (थोड़ी देर के लिए ही सही, शत्रु के सामने महान पराक्रम प्रकट कर) परंतु जीने की इच्छा से भूसी की ज्वालारहित आग के समान केवल धुआँ कर।

वेदव्यास
quote

क्रोध प्राणहारी शत्रु है। क्रोध मित्रमुख शत्रु (ऊपर से मित्र किंतु अंदर से शत्रु) है। क्रोध महातीक्ष्ण तलवार है तथा क्रोध सब कुछ को खींच लेता है।

वाल्मीकि

aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

हिन्दवी उत्सव, 27 जुलाई 2025, सीरी फ़ोर्ट ऑडिटोरियम, नई दिल्ली

रजिस्टर कीजिए