
यह स्त्री शिष्टाचार में क्रांति लाने का समय है—उन्हें उनकी खोई गरिमा लौटाने का समय। यह अपरिवर्तनीय नैतिकता को स्थानीय शिष्टाचार से अलग करने का समय है।

कविता क्रांति ले आएगी, ऐसी ख़ुशफ़हमी मैंने कभी नहीं पाली, क्योंकि क्रांति एक संगठित प्रयास का परिणाम होती है, जो कविता के दायरे के बाहर की चीज़ है।

प्रेम और जो कुछ उससे उत्पन्न होता है, क्रांति और जो कुछ वह रचती है और स्वतंत्रता और जो कुछ उससे पैदा होता है, ये परमात्मा के तीन रूप हैं और परमात्मा सीमित और चेतन संसार का अनंत मन है।

क्रांति आम जनता और व्यक्ति से शक्ति के संचय तथा संधान की माँग करती है।

शासक वर्गों को साम्यवादी क्रांति होने पर काँपने दो। सर्वहाराओं पर अपनी बेड़ियों के अतिरिक्त अन्य कुछ है ही नहीं, जिसकी हानि होगी। जीतने के लिए उनके सामने एक संसार है। सभी देशों के श्रमिकों संगठित बनो।

मंगल पांडे ने सत्तावन के इस क्रांतियुद्ध के लिए अपना उष्ण रक्त प्रदान किया था। किंतु इसके साथ ही साथ उसने अपना नाम भी अमिट रहने वाले अक्षरों में कर दिया। स्वधर्म और स्वराज्य हेतु लड़े गए 1857 के स्वातंत्र्य-समर में भाग लेने वाले सभी क्रांतिकारियों को भी इस क्रांति के शत्रुओं ने 'पांडे' नाम से संबोधित किया। प्रत्येक माता का यह पावन दायित्व है कि अपने बालक को इस पवित्र नाम का स्वाभिमान सहित उच्चारण करना सिखला दे।
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सच, कर्म और चरित्र को क्रांति के बाद की चीज़ नहीं समझना चाहिए। इन्हें तो क्रांति के साथ-साथ चलना चाहिए।

स्वच्छ क्रांति तो प्रेम व न्याय के सिद्धांत से ही हो सकती है।

इस आधुनिक (रूसी) क्रांति का अध्ययन बहुत रोचक है। जो रूप इसने अब ग्रहण किया है, वह मार्क्सवादी सिद्धांत व मतांधताओं को रूस की अनिच्छुक प्रतिभा पर लादने के प्रयत्न के फलस्वरूप है। हिंसा पुनः असफल रहेगी। यदि मैंने परिस्थिति को ठीक समझा है, तो मुझे एक प्रतिक्रांति की आशा है। कार्ल मार्क्स के समाजवाद से अपनी स्वाधीनता के लिए रूस की आत्मा अवशय संघर्ष करेगी।
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क्रांति दूसरों को बाँध कर नहीं होती, अपने को मुक्त करके होती है।

क्रांतिकारी को गृहस्थी में पड़ कर अपनी शक्ति कम नहीं कर लेनी चाहिए अपितु सदैव अपनी शक्ति बढ़ाते रहने का प्रयत्न करना चाहिए, दिन पर दिन अपनी शक्ति को गहरा और विशाल बनाने का प्रयत्न करते रहना चहिए। इस काम के लिए पूरा समय चाहिए। क्रांतिकारियों को सदा दूसरों से आगे रहना चाहिए।
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सबको खाना, कपड़ा, मकान, मिल जाना क्रांति नहीं है। जितनी ज़रूरत हो, उतना खाना मिले, कपड़े की ज़रूरतें पूरी हो जाएँ, हर एक को रहने के लिए अच्छा मकान मिल जाए—यह मनुष्य को सुखी जानवर बना सकता है, लेकिन स्वतंत्र मानव नहीं बना सकता। इसलिए यह क्रांति नहीं है।

जन्तंत्र में इस बात की आवश्यकता है कि जो क्रांति हो, वह केवल जनता के लिए न हो, 'जनता की क्रांति', 'जनता के द्वारा' हो। आज क्रांति भी जनतांत्रिक होनी चाहिए, अन्यथा दुनिया में जनतंत्र की कुशल नहीं है। क्रांति की प्रक्रिया ही जनतांत्रिक होनी चाहिए।

निर्बल व्यक्ति की आहें संगठित होकर समुदाय द्वारा जनित क्रांति का रूप धारण कर सकती हैं।

क्रांति में मूल्य का परिवर्तन होगा। सबसे पहले हमें अपने जीवन में परिवर्तन करना होगा।

यदि तुम क्रांति का सिद्धांत और विधियों के जिज्ञासु हो तो तुम्हें क्रांति में भाग लेना चाहिए। समस्त प्रामाणिक ज्ञान प्रत्यक्ष अनुभव से उद्भूत होता है।

जल विप्लव है।

हे देशवासी, तू अपने आप को पहचान। अपने हृदय व मस्तिष्क से काम लेकर तू परतंत्रता का दाग़ मिटा दे। तू क्रांति ला, क्रांति ला। तेरी मेहनत की कमाई से दूसरे धनवान बन रहे हैं। तू किन के सामने भटकता है और किन के भय से डरता है। अपने ख़ून-पसीने से तू जिनके लिए नींव बना रहा है, वही लोग तुझे हेय समझते हैं। हे पौरुषहीन! क्रांति ला, क्रांति ला।

जो कोई भी अपने आपको मार्क्सवादी क्रांतिकारी लेखक कहता हो और ख़ासतौर से जो लेखक कम्युनिस्ट पार्टी का सदस्य हो—उसे मार्क्सवाद-लेनिनवाद का ज्ञान अवश्य होना चाहिए। लेकिन इस समय कुछ साथी मार्क्सवाद की बुनियादी धारणाओं से अनभिज्ञ हैं।
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यदि क्रांति करनी हो, तो उसके लिए एक क्रांतिकारी संस्था का होना अनिवार्य है।
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अहिंसक प्रक्रिया में क्रांति का साध्य भी मनुष्य है और क्रांति का साधन भी मनुष्य है।

जीविका की पद्धति में और प्रतिष्ठा में जब आमूलाग्र परिवर्तन हो तब वह क्रांति कहलाती है।

यदि क्रांति सफल न हो पाए तो इतिहासकार उसे 'विप्लव' और 'विद्रोह' के संबोधन प्रदान कर देता है। वस्तुतः सफल विद्रोह ही क्रांति कहलाता है।

प्रौढ़-वय का शासक अपने को वैसा ही क्रांतिकारी समझता रहता है, जैसा कभी युवावस्था में वह था।

क्रांतियाँ क्षुद्र बातों के लिए नहीं हैं किंतु क्षुद्र बातों से उद्भूत होती हैं।

विचार कविता का एक अंश है।

कला निरन्तर क्रांति का काम है और क्रांति की प्रेरणा चरित्र नहीं, व्यक्तित्व से आती है।

आने वाली क्रांति केवल रोटी की क्रांति, समान अधिकारों की क्रांति ही न होकर जीवन के प्रति नवीन दृष्टिकोण की क्रांति, मानसिक मान्यताओं की क्रांति तथा सामाजिक अथच नैतिक आदर्शों की भी क्रांति होगी।
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