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पल पर कविताएँ

वह

अलेक्सांद्र ब्लोक

बादाम के फूल

ज्योर्जोस द्रोसिनिस

बुरा क्षण

रफ़ाइल अलबर्ती

इक लावारिस सवाल

रमेश क्षितिज

खेल के बाद

वास्को पोपा

एक दुर्लभ क्षण

हरेकृष्ण डेका

इस वक़्त कहने को कुछ नहीं

शुन्तारो तानीकावा

शाल एक रेशमी

महमूद दरवेश

अंकन

ज़्बीग्न्येव हेर्बेर्त

वे क्षण

अलेक्सांद्र ब्लोक

एक क्षण आता है

पद्मा गोले

'लम्हा'

बबली गुज्जर

अकेला

राजेन्द्र शाह

हवाएँ

सर्गेई येसेनिन

हम लड़-के

खेमकरण ‘सोमन’

कॉफ़ी

मंगेश पाडगाँवकर

धीमा ज़हर

गुरुमेल

ओट

मनोज छाबड़ा

पीछा करते हुए

गौतम कुमार

एकांत के क्षण

मनोज छाबड़ा

पेपर श्रेडर

द्वारिका उनियाल

कल

श्वेतांक सिंह

ऐसे क्षण में

कुसुमाग्रज

इक क्षण में...

श्री श्री

aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

हिन्दवी उत्सव, 27 जुलाई 2025, सीरी फ़ोर्ट ऑडिटोरियम, नई दिल्ली

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