
मैंने एक दिन एक किताब पढ़ी और मेरा पूरा जीवन बदल गया।

मैं एक बहुत ही साधारण इंसान हूँ, मुझे बस किताबें पढ़ना पसंद है।


जीने के लिए पढ़ो।

जो व्यक्ति पढ़ता नहीं है, वह उस व्यक्ति से बेहतर नहीं है जो पढ़ नहीं सकता है।

खाना और पढ़ना दो सुख हैं जो अद्भुत रूप से समान हैं।

अच्छी पुस्तक पढ़ने के बाद आप सदैव मनोवृत्ति के उन्नयन के साथ उठते हैं।

कोई भी पुस्तक दस वर्ष की आयु में पढ़ने योग्य नहीं है जो पचास वर्ष और उससे अधिक की आयु में भी उतनी ही और अक्सर उससे कहीं अधिक पढ़ने योग्य नहीं है।

यह स्पष्ट है कि हर अच्छी किताब को दस साल में कम से कम एक बार पढ़ लेना चाहिए।

किसी दिन आप इतने बूढ़े हो जाएँगे कि फिर से परियों की कहानियों को पढ़ना शुरू कर देंगे।
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यदि तदनुसार आचरण नहीं किया तो केवल कहने या पढ़ने से क्या लाभ?

पढ़कर आनंद के अतिरेक से आँखें यदि गीली न हो जाएँ तो वह कहानी कैसी?

अध्ययन की कला होती है, चिंतन की भी कला होती है और लेखन की भी कला होती है।

जिस उपन्यास को समाप्त करने के बाद पाठक अपने अंदर उत्कर्ष का अनुभव करे, उसके सद्भाव जाग उठें, वही सफल उपन्यास है।
aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere