
देश-प्रेम हो और भाषा-प्रेम की चिंता न हो, यह असंभव है।

अपने समकालीनों या पूर्ववर्तियों से बेहतर होने की चिंता मत करो। ख़ुद से बेहतर बनने की कोशिश करो।

चिंता और बीमारी के बग़ैर मैं बिना पतवार वाली कश्ती की तरह होता।

चिंता करना उस क़र्ज़ का भुगतान करने जैसा है जो आप पर नहीं है।

मैंने अपने जीवन में बहुत सारी चिंताएँ की हैं। इनमें से अधिकांश व्यर्थ थीं।

अपने धर्म की चिंता मनुष्य नहीं करता किंतु दूसरों के लिए वह बराबर धर्म बनाता चलता है।

राजन्! चाहे मनुष्य धन को छोड़े और चाहे धन ही मनुष्य को छोड़ दे—एक दिन ऐसा अवश्य होता है। इस बात को जानने वाला कौन मनुष्य धन के लिए चिंता करेगा?

भविष्य चाहे जितना भी सुखद हो, उस पर विश्वास न करो, भूतकाल की भी चिंता न करो, हृदय में उत्साह भरकर और ईश्वर पर विश्वास कर वर्तमान में कर्मशील रहो।

अतीत सुखों के लिए सोच क्यों, अनागत भविष्य के लिए भय क्यों, और वर्तमान को मैं अपने अनुकूल बना ही लूँगा, फिर चिंता किस बात की?

यदि तू चाहता है कि तुझको भगवान के भेद प्राप्त हो जाएँ तो ऐसे कार्य कर कि जिनसे किसी को कष्ट न पहुँचे। मृत्यु का भय मत कर और रोटियों की चिंता त्याग दे क्योंकि ये दोनों वस्तुएँ समय पर स्वयं ही आ उपस्थित होती हैं।

निरंतर उपासना का तात्पर्य है— निरंतर भजन। अर्थात् नामजप, चिंतन, ध्यान, सेवा-पूजा, भगवदाज्ञा-पालन यहाँ तक कि संपूर्ण क्रिया मात्र ही भगवान की उपासना है।

राजन्! न तो कोई कर्म करने से नष्ट हुई वस्तु मिल सकती है, न चिंता से ही। कोई ऐसा दाता भी नहीं है जो मनुष्य को उसकी विनष्ट वस्तु दे दे। विधाता के विधानानुसार मनुष्य बारी-बारी से समय पर सब कुछ पा लेता है।

राजन! आपका कल्याण हो। अत्यंत अभिमान, अधिक बोलना, त्याग का अभाव, क्रोध, अपना ही पेट पालने की चिंता और मित्र द्रोह—ये छह तीखी तलवारें देह-धारियों की आयु को काटती हैं। ये ही मनुष्यों का वध करती है, मृत्यु नहीं।

प्रत्येक वृद्ध व्यक्ति के नेत्र में चिंता जागती रहती है और जहाँ चिंता रहती है वहाँ निद्रा कभी नहीं आएगी।

जो मनुष्य शोक से आतुर हो, अमर्ष से भरा हुआ, नाना प्रकार के कार्यों की चिंता कर रहा हो अथवा किसी कामना में आसक्त हो, उसे नींद कैसे आ सकती है?

जिसका साथी ईश्वर है उसको दुःख क्या, फ़िक्र क्या, दूसरा साथी क्या?

आज का यथार्थवाद, बुद्धि और साम्यवाद का ऐसा पुत्र है जिसके आविर्भाव के साथ ही, आलोचक जन्मकुंडली बना-बना कर उसके चक्रवर्तित्व की घोषणा में व्यस्त हो गए। स्वयं उनके जीवन और विकास के लिए कैसे वायुमंडल, कैसी धूपछाया और कितने नीर-क्षीर की आवश्यकता होगी इसकी उन्हें चिंता नहीं।

माता के रहते मनुष्य को कभी चिंता नहीं होती, बुढ़ापा से अपनी ओर नहीं खींचता। जो अपनी माँ को पुकारता हुआ घर में आता है, वह निर्धन होने पर भी मानो माता अन्नपूर्णा के पास चला जाता है।

शांत कमरा इतना शांतिपूर्ण और आरामदायक था कि उसमें चिंता नहीं की जा सकती थी।

जिन्होंने प्रभु को आत्मनिवेदन कर दिया है, उन्हें कभी किसी प्रकार की चिंता नहीं करनी चाहिए। पुष्टि (कृपा) करने वाले प्रभु अंगीकृत जीव की लौकिक गति नहीं करेंगे।

मैंने मृत्यु का चिंतन तो काफ़ी किया है, लेकिन मृत्यु की चिंता मैं नहीं करता।

मैं उस मृत्यु की चिंता नहीं करता जो अकस्मात् झटके से सांसों की डोर को तोड़ देगी। मैं उस मृत्यु के बारे में अक्सर सोचता हूँ जो क्षण-क्षण घटित हो रही है, हममें, तुममें, सबमें।

उस अनुपम परम पुरुष के पदों में पहुँचे बिना मन की चिंता कभी नहीं मिट सकती।

प्यार में मेरी आधी चिंता यह थी कि प्यार को हानिरहित और ख़ुशनुमा बनाने के लिए उसे क्या रूप दिया जाए।

aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere