सफलता पर उद्धरण
सफलता-असफलता जीवन-प्रसंगों
से संबद्ध एक प्रमुख विषय है। समाज ने सफलता-असफलता के कई मानदंड तय कर रखे हैं जो इहलौकिक भी हैं और आध्यात्मिक-दार्शनिक भी। कविताओं में भी इस विषय पर पर्याप्त अभिव्यक्तियाँ पाई जाती हैं।

हे राजा! धन से धर्म का पालन, कामना की पूर्ति, स्वर्ग की प्राप्ति, हर्ष की वृद्धि, क्रोध की सफलता, शास्त्रों का श्रवण और अध्ययन तथा शत्रुओं का दमन—ये सभी वही कार्य सिद्ध होते हैं।

सफलता वह जगह है जो एक व्यक्ति अख़बार में घेरता है।


नारी की सफलता पुरुष को बाँधने में है, सार्थकता उसे मुक्ति देने में।

यदि मनुष्य यथाशक्ति किसी धर्म-कार्य को करते हुए भी उसमें सफलता न पा सके तो भी उसे उसका पुण्य अवश्य प्राप्त हो जाता है, इसमें मुझे संदेह नहीं है।

सफलता एक दिन की निर्लज्जता है।

हर सफलता के पीछे आत्मसमर्पण छुपा हुआ है।

जो जितना ही सफल और प्रतिष्ठित है, वह मेरे लिए उतनी ही बड़ी अपौरुषेय हस्ती बन जाता है जिसके मंदिर का गर्भ-गृह तो दूर की बात है, उसकी चहारदीवारी के दर्शन से भी मुझे विरक्ति होती है।

व्यक्तिगत सफलता के लिए जिसे 'नीति' कहते हैं, सामाजिक आदर्श की सफलता का साधक होकर वह 'धर्म' हो जाता है।

महाराज! यह कर्म यदि अभिमानपूर्वक किया जाए तो सफल नहीं होता। त्यागपूर्वक किया हुआ कर्म महान फलदायक होता है।

धूमिल का ख़ुद सफल बनने में और अपेक्षाकृत सफल लोगों के नज़दीक आने में यक़ीन न था।
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सफलता होगी ही, ऐसा मन में दृढ़ विश्वास कर, सतत विषाद-रहित होकर तुझे उठना चाहिए, सजग होना चाहिए और ऐश्वर्य की प्राप्ति कराने वाले कार्यों में लग जाना चाहिए।

काम का अंदाज़ा यह है कि इस मुल्क में ऐसे कितने लोग हैं—जिनकी आँखों से आँसू बहते हैं, उनमें से कितने आँसू हमने पोंछे, कितने आँसू हमने कम किए। वह अंदाज़ा है इस मुल्क की तरक़्क़ी का, न कि इमारतें जो हम बनाएँ, या कोई शानदार बात जो हम करें।

अगर इनसान पैसे और शोहरत का मोह छोड़ दे तो वह ख़तरनाक हो जाता है, कोई उसे बरदाश्त नहीं कर पाता, सब उससे दूर भागते हैं, या उसे पैसा और शोहरत देकर फिर मोह के जाल में फाँस लेना चाहते हैं।

हमें कठिनाइयों को मानना चाहिए, उनका विश्लेषण करना चाहिए और उनके विरुद्ध संघर्ष करना चाहिए। जगत में सीधे मार्ग कहीं नहीं हैं, हमें टेढ़े-मेढ़े मार्ग तय करने के लिए तैयार रहना चाहिए तथा मुफ़्त में सफलता प्राप्त करने का प्रयत्न नहीं करना चाहिए।

कार्य की सफलता का मूल कारण है उत्तम उद्योग। उद्योग के बिना कोई भी सिद्धि नहीं होती है। उद्योग से ही सब समृद्धियों का उदय होता है और जहाँ उद्योग नहीं है, वहाँ पाप ही पाप है।

हे भारत! पुरुषार्थ करने पर भी यदि सिद्धि न प्राप्त हो तो खिन्न नही होना चाहिए, क्योंकि फल-सिद्धि में पुरुषार्थ के अतिरिक्त भी प्रारब्ध तथा ईश्वर कृपा दो अन्य कारण हैं।

हमारे समाज का सुधार हमारी अपनी भाषा से ही हो सकता है। हमारे व्यवहार में सफलता और उत्कृष्टता भी हमारी अपनी भाषा से हो जाएगी।

यह ऐसी शिक्षा है जिस पर तुम्हें ध्यान देना चाहिए, प्रयत्न करो, प्रयत्न करो, पुनः प्रयत्न करो। यदि पहली बार में तुम सफल नहीं होते, तो प्रयत्न करो, प्रयत्न करो, पुनः प्रयत्न करो।

जिस उपन्यास को समाप्त करने के बाद पाठक अपने अंदर उत्कर्ष का अनुभव करे, उसके सद्भाव जाग उठें, वही सफल उपन्यास है।

मूर्खों की सफलताओं की अपेक्षा बुद्धिमानों की ग़लतियाँ अधिक मार्गदर्शक होती हैं।

परिश्रम ही हर सफलता की कुंजी है और वही प्रतिभा का पिता है।

उत्थान के भीतर से पतन का विष बराबर निकला है।

अपनी उन्नति छह प्रकार की होती है। अपनी वृद्धि, मित्र की वृद्धि और मित्र के मित्र की वृद्धि तथा शत्रु पक्ष में इसके विपरीत स्थिति अर्थात् शत्रु की हानि, शत्रु के मित्र की हानि तथा शत्रु के मित्र के मित्र की हानि।

प्रतिभा जाति पर निर्भर नहीं है। जो परिश्रमी है, वही प्राप्त करता है।

परस्पर विरोधिनी लक्ष्मी और सरस्वती का, एक ही स्थान पर कठिनता से पाया जाने वाला मेल सत्पुरुषों की उन्नति करने वाला हो।

आत्मविश्वास सफलता का प्रथम रहस्य है।
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यदि क्रांति सफल न हो पाए तो इतिहासकार उसे 'विप्लव' और 'विद्रोह' के संबोधन प्रदान कर देता है। वस्तुतः सफल विद्रोह ही क्रांति कहलाता है।

जो मुझसे नहीं हुआ, वह मेरा संसार नहीं।

कामयाबी तभी मिलती है, जब आप खेल को रणनीति बना कर खेलें, लगातार सीखते रहें और उस सीख पर अमल करते रहें।

मैं आज सफल हूँ, क्योंकि मेरे पास एक ऐसा दोस्त था जिसने मुझ पर यक़ीन किया और मुझमें हिम्मत न थी कि मैं उसे निराश कर सकूँ।


दृढ़ता आपकी असफलता के ख़िलाफ़ बीमा है।

काम-भावना के सफल न होने पर भी दोनों की परस्पर अभिलाषा प्रेम उत्पन्न करती है।

जो भाव इंद्रियगम्य नहीं है, वहाँ तर्क कभी सफल नहीं होता।

जो भी अपनी भूमि पर अँगूठे के बल खड़ा हो जाता है, वट-वृक्ष हो जाता है।


सफल होना मेरे लिए संभव नहीं है। मेरे लिए केवल संभव है—होना।

निष्काम होकर नित्य पराक्रम करने वालों की गोद में उत्सुक होकर सफलता आती ही है।


युद्ध सफलता से तभी लड़ा जा सकता है जब उसका सही कारण जनता को मालूम न हो।

शिखरों की ऊँचाई कर्म की नीचता का परिहार नहीं करती।

मंच का मोह मुझे नहीं, भय है। इस भय ने मुझे कई प्रलोभनों से बचाया है।

मैं बाद अज़मर्ग कामयाबी का मुरीद हूँ।

स्वयं को समर्पित करना हमेशा कठिन होता है; कुछ ही लोग ऐसा करने में सफल होते हैं।

प्रासंगिकता सफलता की मोहताज नहीं होती।

नाम का नशा नुक़सानदेह।

मुझे कामयाबी से बेईमानी की बू आती रहती है।

सफलता केवल तालियों को सुनती है। बाक़ी सबके लिए वह बहरी है।

सफलता का मतलब यह नहीं है कि आप कभी ग़लती न करें, बल्कि यह है कि आप वही ग़लती दूसरी बार न करें।
aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere