Kazi Nazrul Islam's Photo'

क़ाज़ी नज़रुल इस्लाम

1899 - 1976 | बर्दवान, पश्चिम बंगाल

'विद्रोही कवि' के रूप में समादृत बांग्ला कवि-लेखक और संगीतकार। बांग्लादेश के राष्ट्रीय कवि।

'विद्रोही कवि' के रूप में समादृत बांग्ला कवि-लेखक और संगीतकार। बांग्लादेश के राष्ट्रीय कवि।

क़ाज़ी नज़रुल इस्लाम की संपूर्ण रचनाएँ

कविता 4

 

उद्धरण 4

संसार में जितनी बड़ी-बड़ी जीतें हुई हैं, बड़े-बड़े आक्रमण हुए हैं, सबको महान बनाया है माताओं, बहिनों और पत्नियों के त्याग ने। किस युद्ध में कितने पुरुषों ने रक्त दिया—यह इतिहास में लिखा हुआ है, लेकिन उसके समीप में यह नहीं लिखा है कि कितनी स्त्रियों ने अपना सुहाग दान किया, कितनी माताओं ने कलेजा निकाल कर दिया, कितनी बहिनों ने सेवाएँ अर्पित की।

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पुरुष हृदय था, नारी ने उसे आधा हृदय देकर मनुष्य बनाया।

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पुरुष के प्यासे हृदय को मधु से सींचने वाली नारी ही है।

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यहाँ हम सभी समान रूप से पापी हैं, अपने पाप के मापदंड से दूसरों के पाप की माप-तौल करते हैं।

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