महात्मा गांधी पर उद्धरण
महात्मा गांधी आधुनिक
भारतीय इतिहास के उन प्रमुख व्यक्तित्वों में से एक हैं जिन्होंने न केवल समकालीन राष्ट्रीय युगबोध को आकार प्रदान किया बल्कि भविष्य की प्रेरणा की ज़मीन को भी उर्वर बनाया। इस चयन में गांधी और गांधी-दर्शन को आधार बना व्यक्त हुई अभिव्यक्तियों का संकलन किया गया है।

अंतःकरण के विषयों में, बहुमत के नियम का कोई स्थान नहीं है।

हमें अंग्रेज़ी की आवश्यकता है, किंतु अपनी भाषा का नाश करने के लिए नहीं।

प्रथम हृदय है, और फिर बुद्धि। प्रथम सिद्धांत और फिर प्रमाण। प्रथम स्फुरणा और फिर उसके अनुकूल तर्क। प्रथम कर्म और फिर बुद्धि। इसीलिए बुद्धि कर्मानुसारिणी कही गई है। मनुष्य जो भी करता है, या करना चाहता है उसका समर्थन करने के लिए प्रमाण भी ढूँढ़ निकालता है।

क्या कोई व्यक्ति स्वप्न में भी यह सोच सकता है कि अंग्रेज़ी भविष्य में किसी भी दिन भारत की राष्ट्रभाषा हो सकती है? फिर राष्ट्र के पाँवों में यह बेड़ी किसलिए?

'महात्मा' पद मुझे हमेशा शूल के समान चुभा है।

गांधी, बुद्ध, अशोक नाम हैं बड़े दिव्य सपनों के, भारत स्वयं मनुष्य जाति की बहुत बड़ी कविता है।

'विद्यार्थी' के लिए ठीक शब्द तो 'ब्रह्मचारी' है। विद्याभ्यास के समय ब्रह्मचर्य का पालन ज़रूरी है।

हर धर्म ने अपने-अपने ब्राह्मण पैदा किए हैं। वे इस नाम से पुकारे नहीं गए हैं, इससे कोई फ़र्क़ नहीं पड़ता। मेरे ख़्याल से हमारे ब्राह्मण अन्य धर्मों के ब्राह्मणों की तुलना में अच्छे ही हैं।

स्वदेशी की भावना की खोज करते हुए मुझे देश की पुरानी संस्थाएँ, ग्राम पंचायतें आदि बहुत आकृष्ट करती हैं। वास्तव में भारत एक गणतंत्र है और यही कारण है कि उस पर आज तक जो प्रहार हुए है, उन्हें वह बर्दाश्त कर सका है। राजाओं और नबावों ने चाहे वे भारतीय रहे हों या विदेशी, प्रजा से सिर्फ़ कर ही वसूला है, और इससे अधिक प्रजा से उनका कोई और संबंध शायद ही रहा हो।

मुझे बिल्कुल साफ़ दिखाई देता है कि तुम्हें मेरे और मेरे विचारों के विरुद्ध खुली लड़ाई करनी चाहिए। कारण, यदि मैं ग़लती पर हूँ तो मैं स्पष्ट ही देश की वह हानि कर रहा हूँ, जिसकी क्षतिपूर्ति नहीं हो सकती और उसे जान लेने के बाद तुम्हारा धर्म है कि मेरे ख़िलाफ़ बग़ावत में उठ खड़े हो, अथवा यदि तुम्हें अपने निर्णयों के ठीक होने में कोई शंका है तो मैं ख़ुशी से तुम्हारे साथ निजी रूप में उनकी चर्चा करने को तैयार हूँ। तुम्हारे और मेरे बीच मतभेद इतने विशाल और मौलिक हैं कि हमारे लिए कोई मिलन की जगह दिखाई नहीं देती। कार्य की सिद्धि के लिए साथीपन को क़ुर्बान करना पड़ता है।
aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere