पुस्तक पर कविताएँ

पुस्तकें हमारे लिए नए

अनुभव और ज्ञान-संसार के द्वार खोलती हैं। प्रस्तुत चयन में ‘रोया हूँ मैं भी किताब पढ़कर’ के भाव से लेकर ‘सच्ची किताबें हम सबको अपनी शरण में लें’ की प्रार्थना तक के भाव जगाती विशिष्ट पुस्तक विषयक कविताओं का संकलन किया गया है।

किताब पढ़कर रोना

रघुवीर सहाय

किताबें

गौरव गुप्ता

कोई लाके मुझे दे

दामोदर अग्रवाल

किताबें

सफ़दर हाश्मी

किताबें

नवीन सागर

किताब

सौरभ अनंत

समर्पण

चेस्लाव मीलोष

किताबें

सपना भट्ट

जिल्दसाज़

विनय सौरभ

पीस एकॉर्ड

तरुण भारतीय

औरों की तरह नहीं

शलभ श्रीराम सिंह

पुस्तकों के उपयोग

के. सच्चिदानंदन

मनुष्यता की रीढ़

ज्ञानेंद्रपति

साहित्य में

संजय चतुर्वेदी

कविता के बदलते स्रोत

संजय चतुर्वेदी

जनगणित

संजय चतुर्वेदी

बढ़ई का बेटा

कृष्ण कल्पित

गंध

विनय सौरभ

पुस्तक मेले

संजय चतुर्वेदी

दीमकें

नरेश सक्सेना

चौराहा और पुस्तकालय

खेमकरण ‘सोमन’

प्रूफ़रीडर्स

अविनाश मिश्र

होंठों की जुंबिश

प्रदीप्त प्रीत

किताबें

आदित्य रहबर

प्यारे बच्चो

अनिल कार्की

पल भर की आज़ादी

मोहम्मद अनस

डर

केशव तिवारी

जीवन में किताबें

महेश चंद्र पुनेठा

विदाई

नरेश अग्रवाल

रहस्य-8

सोमेश शुक्ल

किताबें

अरुण देव

धूप की किताब

प्रकाश मनु

अम्मा का कोना

कौशल किशोर

पहली प्रति

सुशोभित

aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere