हारुकी मुराकामी की संपूर्ण रचनाएँ
उद्धरण 48

हममें से हर किसी का कुछ न कुछ क़ीमती खो रहा है। खोए हुए अवसर, खोई हुई संभावनाएँ, भावनाएँ… जो हम फिर कभी वापस नहीं पा सकते। यह जीवित रहने के अर्थ का एक हिस्सा है।
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क्या आपको नहीं लगता कि सब कुछ और हर किसी से छुटकारा पाकर बस किसी ऐसी जगह चले जाना अच्छा होगा जहाँ आप किसी व्यक्ति को नहीं जानते हैं?
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डर और बेवक़ूफ़ी भरे अहंकार के चलते कभी भी किसी ऐसे व्यक्ति को खोने न दें जो आपके लिए मूल्यवान है।
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