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नलिनीबाला देवी

1898 - 1977 | बरपेटा, असम

‘असमिया भाषा की महादेवी’ के रूप में समादृत कवयित्री-लेखिका। साहित्य अकादेमी पुरस्कार से सम्मानित।

‘असमिया भाषा की महादेवी’ के रूप में समादृत कवयित्री-लेखिका। साहित्य अकादेमी पुरस्कार से सम्मानित।

नलिनीबाला देवी की संपूर्ण रचनाएँ

उद्धरण 15

विश्व तुम्हारा बाहुबल नहीं, बल्कि नीरव आश्वासन और सुकुमार हृदय की शक्ति का निर्झर विश्वास ही चाहता है।

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हे नारी! तुम्हारे स्पर्श से ही पृथ्वी को रूप मिला है और सुधा रस का स्पर्श मिला है! जीवन कुसुम को परिवेष्टित कर कवियों ने विश्व गुंजा दिया जिससे काव्य का सुरस विकसित हो उठा।

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तुममें भारती अतीत का नारी-रत्न खोज रही है, जिसमें सत्य की पवित्र, ज्योति, चरित्र की महान महिमा प्रकाशित है |

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तुम्हारे हाथ स्वार्थमयी पृथ्वी की कलुष-कालिमा पोंछ देते हैं। प्रेम के दीप जलाकर, कर्तव्य की तपस्या से तुम संसार-पथ में गरिमा का वितरण करती हो।

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मरने पर, जैसे भी हो, मैं अपने इस दुःखी देश में ही फिर से जन्म लूँ।

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