
आतिथ्य का निर्वाह न करने की मूढ़ता ही धनी की दरिद्रता है। यह बुद्धिहीनों में ही होती है।

अज्ञान सदैव ही आत्मप्रशंसा के लिए तैयार रहता है।

पहली बात जो मैंने स्कूल में सीखी वह यह थी कि कुछ लोग बेवक़ूफ़ होते हैं, दूसरी बात जो मैंने सीखी वह यह कि कुछ तो इससे भी बदतर हैं।

बहुत से बुद्धिमान लोगों के पास समझ की कमी होती है, बहुत से मूर्खों के पास दयालु स्वभाव होता है, ख़ुशी का अंत अक्सर आँसुओं में होता है, लेकिन मन के अंदर क्या है—यह कभी नहीं बताया जा सकता है।

जो शोर की जगह संगीत, आनंद की जगह ख़ुशी, आत्मा की जगह सोना, रचनात्मक कार्य की जगह व्यापार, और जुनून की जगह मूर्खता चाहता है, उसे इस साधारण दुनिया में कोई घर नहीं मिलता।

बुद्धि से धन प्राप्त होता है और मूर्खता दरिद्रता का कारण है—ऐसा कोई नियम नहीं है। संसार चक्र के वृत्तांत को केवल विद्वान पुरुष ही जानते हैं, दूसरे लोग नहीं।

मुझे बताओ, प्यार किसी को मूर्ख बनाता है या केवल मूर्ख ही प्यार करते हैं?

अंधे की लाठी पकड़ने वाला अंधा हो तो दोनों ही गड्ढे में गिरते हैं।

प्रत्येक व्यक्ति की अपनी मूर्खता है, लेकिन सबसे बड़ी मूर्खता है—मूर्खता का न होना।

मैं इसलिए पागल नहीं हूँ क्योंकि मैं औरत हूँ… मैं पागल हूँ क्योंकि तुम मूर्ख हो।

स्वर्ग मूर्खता है, इसकी गूँज सिर्फ़ मूर्ख को सुनाई देती है।


प्रत्येक जाति में मनुष्य को बाल्यकाल ही में एक धर्म-संघ का सदस्य बना देने की मूर्खतापूर्ण प्रथा चली आ रही है। जब उसमें जिज्ञासा नहीं, प्रेरणा नहीं, तब उसके धर्मग्रहण करने का क्या तात्पर्य हो सकता है?

हर व्यक्ति को जो चीज़ हृदयंगम हो गई है, वह उसके लिए धर्म है। धर्म बुद्धिगम्य वस्तु नहीं, हृदयगम्य है। इस लिए धर्म मूर्ख लोगों के लिए भी है।


बात करो, बात करो, बात करो : शब्दों की निरी शोकाकुल करने वाली मूर्खता।

मूर्खों के साथ कभी बहस मत करो। वे आपको अपने स्तर तक गिरा देंगे और आपको अनुभव से हरा देंगे।


खनखनाते हुए मणिमय मुक्ताहार, सोने के नूपुर, कुंकम के अंगराग, सुगंधित पुष्प, विचित्र मालाएँ, रंगबिरंगे वस्त्र—इन सब चीज़ों की मूर्खों ने नारी में कल्पना कर ली है किंतु भीतर-बाहर विचारने वालों के लिए तो स्त्रियाँ नरक ही हैं।

…इस दुनिया में बहुत सारे बेवक़ूफ़ हैं।—यह कहने के बाद, मुझ पर इसे साबित करने का बोझ है।

अगर परिणामों को देख कर फ़ैसला किया जाए तो मूर्खता और बुराई समान है।

इस दुनिया में दुख का बड़ा कारण मूल पाप नहीं; बल्कि एक तरह की मूल, अकल्पनीय और ज़िद्दी मूर्खता है।

विश्वविद्यालय में आपको यह नहीं बताया जाता है कि क़ानून का बड़ा हिस्सा मूर्खों को बर्दाश्त करना सीखना है।

आप जो भी करना चाहते हैं, कर डालें… अपने आपको मूर्ख बनाना बेहद ज़रूरी है।

एडगर ने कहा है कि जब हम नहीं बोलते हैं, तब हम असहनीय हो जाते हैं; और जब हम बोलते हैं, तब हम ख़ुद को मूर्ख बना रहे होते हैं।

जैसे-जैसे हम ज्ञान पाते हैं, हम अपने पिताओं को मूर्ख समझते हैं। निस्संदेह हमारे अधिक बुद्धिमान पुत्र हमें भी ऐसा ही समझेंगे।

जो आपको मूर्खतापूर्ण कामों में भरोसा दिला सकते हैं, वे आपसे अत्याचार भी करवा सकते हैं।

मैं इससे इंकार नहीं कर रही हूँ कि स्त्रियाँ मूर्ख होती हैं, सर्वशक्तिमान परमात्मा ने उन्हें पुरुषों के जोड़ का ही बनाया है।

साँप काटे हुए आदमी के मुख में नमक देने पर वह उसे मिट्टी बताता है। इसी प्रकार यदि मूर्ख को यह ज्ञान अमृत तुल्य लगे तो हे जीवन! उसे ज्ञान रूपी बूटी घोल कर पिलाओ।

निद्रा और भोजन ईश्वर की इच्छा को पूरा करने के लिए, आवश्यक शक्ति को पुनः पाने के लिए, हैं। मूर्ख लोग इन्हें ही साध्य मानते हैं।

ईश्वर की तो हमेशा कृपा ही होती है। हम उस कृपा को न पहचान सकें, यह हमारी मूर्खता है।


मूर्खता है सही सिद्धांतों से ग़लत निष्कर्षों को निकालना यही इसका पागलपन से अंतर है क्योंकि उसमें ग़लत सिद्धांतों से सही निष्कर्षों को निकाला जाता है।

बिना पढ़े ही गर्व करने वाले, दरिद्र होकर भी बड़े-बड़े मनोरथ करने वाले और बिना कर्म किए ही धन पाने की इच्छा रखने वाले मनुष्य को पंडित लोग मूर्ख कहते हैं।

महाभारत में पाँच प्रकार के व्यक्ति जीते हुए भी मरे के समान बताए गए हैं—दरिद्र, रोगी, मूर्ख प्रवासी तथा नित्य सेवा करने वाला।

अजात, मृत तथा मूर्ख पुत्रों में मृत और अजात पुन श्रेष्ठ हैं क्योंकि ये दोनों थोड़ा दुःख देते हैं और मूर्ख जीवन पर्यंत जलाता है।

मूर्खों की सफलताओं की अपेक्षा बुद्धिमानों की ग़लतियाँ अधिक मार्गदर्शक होती हैं।

बालकों व मूर्खों की तो गिनती क्या, महान लोगों की भी चित्तवृत्ति सदा एकाग्र नहीं रहती।

हे कमलनयनी! मूर्ख व्यक्ति शोक से पीड़ित होकर दुःखी होते रहते हैं परंतु बुद्धिमान लोग अज्ञान को दूर करके आनंदित होते हैं।

प्रसिद्धि के इच्छुक, विचार शून्यता के कारण सब ओर दौड़ते हुए मूर्ख लोग पक्षी की तरह ही उपहास योग्य होते

बुद्धि के आधिक्य से बुद्धिमान व्यक्ति मूर्ख बन जाता है।


कम से कम पाँच मिनट के लिए तो प्रत्येक व्यक्ति प्रति-दिन मूर्ख बनता ही है। हमारी बुद्धिमानी इसी में है कि पाँच मिनट की अवधि को बढ़ने न दें।

मूढ़ को अधिक संपत्ति प्राप्त हो तो उसके अपने तो भूखे रहेंगे और दूसरे लाभांवित होंगे।

मृत्यु ने न तो मूर्ख को छोड़ा और न बुद्धिमान क उसके लिए भले और बुरे समान हैं।

मैं चिंता नहीं करता कि मनुष्य पवित्र है या पापी। मैं केवल इस बात कि चिंता करता हूँ कि वह बुद्धिमान है या मूर्ख।

अत्याचारी कदापि अत्याचार के कारण नष्ट नहीं होते अपितु सदैव ही मूर्खता के कारण नष्ट होते हैं, जब उनकी सनकें एक भवन बना चुकी होती हैं जिसके लिए पृथ्वी पर कोई नींव नहीं होती।

मूर्ख मूर्खों के साथ रहते हैं और विद्वान् विद्वानों के साथ। समान शील और व्यसन वालों में मित्रता होती है।

बुद्धिमानों की मित्रता बढ़ते हुए बालचंद्र के समान, तथा, मूर्खों की मित्रता घटते हुए पूर्ण चंद्र के समान होती है।

प्रायः बुद्धिमान ही उपदेश के योग्य होते हैं, मूर्ख नहीं।
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