मनुष्यता पर कविताएँ

मनुष्यता

मैथिलीशरण गुप्त

शोधन

तादेऊष रूज़ेविच

सौभाग्य

तादेऊष रूज़ेविच

इक लावारिस सवाल

रमेश क्षितिज

वन

गुलाब नबी फ़िराक़

जितना ऊँचा उठता है आदमी

शेषेन्द्र शर्मा

नवागंतुक जीव

थाङ्जम इबोपिशक सिंह

मनुज

गेवोर्ग यमिन

स्वर्गीय-संगीत

मैथिलीशरण गुप्त

युद्ध

मोहन सिंह सलाथिया

ढेरी हो जाने तक

ओम पुरोहित ‘कागद’

बहाना

साँवर दइया

गंगा-जल

बच्चा लाल 'उन्मेष'

जीना

आशीष त्रिपाठी

एक अप्रत्याशित भेंट

वीस्वावा षिम्बोर्स्का

सरिता

स्तेपान श्चिपाचोव

उनमें केवल तुम ही थे

खेमकरण ‘सोमन’

प्राण

रवींद्रनाथ टैगोर

पुरुष

श्रुति कुशवाहा

इंतज़ार

जसवीर कालरवी

समय और आदमी

रसूल हमज़ातोव

अभी मन उदास है?

कँवलजीत भुल्लर

नई सदी में

गुरभजन गिल

मँगरा कीड़ा

चंद्रेश्वर

यात्री

जीवनानंद दास

मानव चेहरों के सौंदर्य पर

निकोलाय ज़बोलोत्स्की

तुम अड़े रहना

महेश कुमार जोशी

सुनहली वनैला

ग़ुलाम अहमद गाश

घर

निरंजन सिंह नूर

गिलहरी

अपूर्वा श्रीवास्तव

कॉकरोच

द्वारिका उनियाल

प्रेम और पैसा

राजदीप सिंह इंदा

वह हामिद था...

कौशल किशोर

हद

माधुरी

घायल मानवता

अरविन्द

मन करता है

केदार कानन

चिड़िया-दो

राम प्रवेश रजक

मेरा पता

जितेन्द्र उधमपुरी

बदनसीब

एंजेला एनिमा तिर्की

समाज

प्रियंका यादव

मनुज

गुरजाड अप्पाराव

टिड्डी-दल

चिंतामणि बेहेरा

मिट्टी से सरल लोग

योगेश कुमार ध्यानी

इंसान सदियों से

तारा सिंह विर्क

aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere