प्रकृति पर कविताएँ

प्रकृति-चित्रण काव्य

की मूल प्रवृत्तियों में से एक रही है। काव्य में आलंबन, उद्दीपन, उपमान, पृष्ठभूमि, प्रतीक, अलंकार, उपदेश, दूती, बिंब-प्रतिबिंब, मानवीकरण, रहस्य, मानवीय भावनाओं का आरोपण आदि कई प्रकार से प्रकृति-वर्णन सजीव होता रहा है। इस चयन में प्रस्तुत है—प्रकृति विषयक कविताओं का एक विशिष्ट संकलन।

एक वृक्ष की हत्या

कुँवर नारायण

हिमालय

रामधारी सिंह दिनकर

प्रेमपत्र

सुधांशु फ़िरदौस

जो कुछ अपरिचित हैं

विनोद कुमार शुक्ल

धूप की भाषा

श्रीनरेश मेहता

नदी, पहाड़ और बाज़ार

जसिंता केरकेट्टा

थोड़ी धरती पाऊँ

सर्वेश्वरदयाल सक्सेना

ओस

सोहनलाल द्विवेदी

सभ्यताओं के मरने की बारी

जसिंता केरकेट्टा

जंगल

लक्ष्मीनारायण पयोधि

आओ, मिलकर बचाएँ

निर्मला पुतुल

आत्म-मृत्यु

प्रियंका दुबे

कोई लाके मुझे दे

दामोदर अग्रवाल

हवा

शिवचरण सरोहा

भगवान के डाकिए

रामधारी सिंह दिनकर

सीखो

श्रीनाथ सिंह

ओ माँ

अमन त्रिपाठी

लौट आ, ओ धार

शमशेर बहादुर सिंह

(पर)लोक-कथा

गीत चतुर्वेदी

पानी और धूप

सुभद्राकुमारी चौहान

मातृभूमि

सोहनलाल द्विवेदी

आलिंगन

अखिलेश सिंह

आषाढ़

अखिलेश सिंह

जड़ें

राजेंद्र धोड़पकर

आँधी

इस्माइल मेरठी

काँपती है

अज्ञेय

पेड़ों की मौत

अखिलेश सिंह

शिमला

अखिलेश सिंह

एक धुन

आशीष त्रिपाठी

ख़ूबसूरती

सारुल बागला

सावन में यह नदी

कृष्ण मुरारी पहारिया

अगर

अरुण देव

जब पीले ने कहा

राजेश सकलानी

मेघ आए

सर्वेश्वरदयाल सक्सेना

व्यवस्थाएँ

अविनाश मिश्र

वन मैंने लूट डाले

एमिली डिकिन्सन

aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

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