वीर पर उद्धरण
विकट परिस्थिति में भी
आगे बढ़कर अपने कर्तव्यों का पालन करने वाले व्यक्ति को वीर कहा जाता है और उसकी वीरता की प्रशंसा की जाती है। इस चयन में वीर और वीरता को विषय बनाती कविताओं को शामिल किया गया है।

स्वतंत्र होने की कोशिश में साहस निहित है। साहसिक कार्य आत्म-सम्मान का पोषण करता है और आत्म-सम्मान किसी भी जोखिम को लेने की इच्छा पैदा करता है। तो क्या अकेले रहने का साहस करने में जोखिम है? शायद, साहस का मतलब ही जोखिम है?
जो वरदान देता है, वह शाप भी दे सकता है।

सफल होने के लिए—एक कलाकार के पास—साहसी आत्मा होनी चाहिए। …वह आत्मा जो हिम्मत करती है और चुनौती देती है।

किसी मक़सद के लिए मरने के लिए साहस की आवश्यकता होती है, लेकिन किसी उद्देश्य के लिए जीने के लिए भी साहस की आवश्यकता होती है।

साहस कोई ऐसी क्षमता नहीं है जो किसी के पास है या नहीं है। साहस जोखिम वाले कार्य में जुट जाने की इच्छा है, भले ही परिणाम अज्ञात हों या संभावित रूप से प्रतिकूल हों। हम साहसी व्यवहार करने में सक्षम हैं, अगर हम ऐसा करने के इच्छुक हों।

कठिनाइयों पर क़ाबू पाने से हममें साहस और स्वाभिमान आता है और हम ख़ुद को जान लेते हैं।

तुम्हें पता है कि एक व्यक्ति के रूप में तुम्हारे पास न तो बहादुरी की क्षमता है और न ही ताक़त की।

साहसिक कारनामे उस समय कभी मज़ेदार नहीं लगते हैं, जब आप उन्हें कर रहे होते हैं।

कायरता भी साहस के समान होती है, दोनों कई क़िस्म के होते हैं।

साहस भय का प्रतिरोध है। साहस भय का न होना नहीं है, बल्कि भय पर विजय प्राप्त करना है।

मेधावी तथा समर-शूर पुरुष भी स्त्री के समीप परम कायर हो जाते हैं।

हमारे दुश्मनों का सामना करने के लिए बहुत बहादुरी की ज़रूरत है, लेकिन हमारे दोस्तों का सामना करने के लिए भी उतनी ही बहादुरी चाहिए।

विद्वान्, शूरवीर, धनी, धर्मनिष्ठ, स्वामी, तपस्वी, सत्यवादी तथा बुद्धिमान मनुष्य ही प्रजा की रक्षा करते हैं।

जो तीन सबसे बड़ी उपाधियाँ किसी मनुष्य को दी जा सकती हैं वे हैं—शहीद, वीर और संत।

वीर मनुष्य अधरों पर मुस्कान लिए मृत्यु से भेंट करते हैं।

डरपोक को भय दिखाकर फोड़ ले तथा जो अपने से शूरवीर हो, उसे हाथ जोड़कर वश में करे।

जो अन्य से आशा नहीं करता, वही शूर है।

कायर लोग अपनी मृत्यु से पूर्व बहुत बार मरते हैं किंतु वीर केवल एक बार ही मृत्यु का स्वाद लेते हैं।

हम वीर लोगों की संतानें हैं लेकिन यदि इस विरासत को शोभान्वित करने की हम में ताक़त नहीं है तो इससे हमारा कुछ भी लाभ नहीं होगा।

वीर क्षत्रिय को अपनी प्रतिज्ञा शिथिल करना ठीक नहीं है।

लूट के लोभ से हत्या-व्यवसायियों को एकत्र करके उन्हें वीर सेना कहना, रणकला का उपहास करना है।

जो मरने को तैयार हो जाते हैं, बहादुर बनते हैं, उनसे मौत हट जाती है।
aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere