
खेल प्रकृति की सबसे सुंदर रचना हैं।

किसी वजह से हम फ़ोटो लेते समय भी मुस्कुराने के लिए बाध्य महसूस करते हैं। हम वहाँ भी ख़ुशी का खेल खेल रहे होते हैं।

खेल बच्चों का काम है और यह कोई मामूली काम नहीं है।


जीवन दायित्व का खेल है, पग-पग पर समझौता है।

अच्छी प्रकार कार्य करने की कला में सभ्य जाति अच्छी प्रकार खेलने की कला भी जोड़ देती है।

जीवन ताश के खेल की तरह है। हमने खेल का आविष्कार नहीं किया है और न ताश के पत्तों के नमूने ही हमने बनाए हैं। हमने इस खेल के नियम भी ख़ुद नहीं बनाए और न हम ताश के पत्तों के बँटवारे पर ही नियंत्रण रख सकते हैं। पत्ते हमें बाँट दिए जाते हैं, चाहे वे अच्छे हों या बुरे। इस सीमा तक नियतिवाद का शासन है। परंतु हम खेल को बढ़िया ढंग से या ख़राब ढंग से खेल सकते हैं। हो सकता हे कि कुशल खिलाड़ी के पास ख़राब पत्ते आए हों और फिर भी वह खेल में जीत जाए। यह भी संभव है कि किसी ख़राब खिलाड़ी के पास अच्छे पत्ते आए हों और फिर भी वह खेल का नाश करके रख दे। हमारा जीवन परवशता और स्वतंत्रता, दैवयोग और चुनाव का मिश्रण है।

मुझे लगता है कि गेंद बल्ला या बाल-बैट इस ग़रीब देश के लिए ठीक नहीं। हमारे देश में निर्दोष और कम ख़र्च वाले बहुत से खेल हैं।

तुम्हारा हर काम और हर खेल मग़रिबी (पश्चिमी) है, तुम हारे तो क्या और जीते तो क्या! बल्कि दुःख तो ये है कि तुम उनकी नक़ल उतारने में कभी-कभी जीत भी जाते हो।

दार्शनिक जिन्हें सिद्धांत कहता है, राजनेता उनमें वहम देखता है। और राजनेता जिसे पद और प्रभुता मानता है, दार्शनिक उसे माया का खेल और फ़रेब मानता है।


पुलिस की गाड़ियों को उलट देना ज़बरदस्त व्यायाम है। ये एकमात्र खेल है जिसे मैं बहुत पसंद करता हूँ।
aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere