राजनीति पर कविताएँ

राजनीति मानवीय अंतर्क्रिया

में निहित संघर्षों और सहयोगों का मिश्रण है। लेनिन ने इसे अर्थशास्त्र की सघनतम अभिव्यक्ति के रूप में देखा था और कई अन्य विद्वानों और विचारकों ने इसे अलग-अलग अवधारणात्मक आधार प्रदान किया है। राजनीति मानव-जीवन से इसके अभिन्न संबंध और महत्त्वपूर्ण प्रभाव के कारण विचार और चिंतन का प्रमुख तत्त्व रही है। इस रूप में कविताओं ने भी इस पर पर्याप्त बात की है। प्रस्तुत चयन में राजनीति विषयक कविताओं का एक अनूठा संकलन किया गया है।

कौन जात हो भाई

बच्चा लाल 'उन्मेष'

पटकथा

धूमिल

भेड़िया

सर्वेश्वरदयाल सक्सेना

कोई एक और मतदाता

रघुवीर सहाय

ग़ायब लोग

आदर्श भूषण

हाथ और साथ का फ़र्क़

जावेद आलम ख़ान

कोई और

देवी प्रसाद मिश्र

हिंदू वाली फ़ाइल्स

बच्चा लाल 'उन्मेष'

कोरोना काल में

पंकज चतुर्वेदी

जनादेश

संजय चतुर्वेदी

अंतिम आदमी

राजेंद्र धोड़पकर

उत्सव

अरुण कमल

एक अन्य युग

अविनाश मिश्र

देश

तरुण भारतीय

मुखौटे

आशीष त्रिपाठी

वैसे ही चलना दूभर था

मुकुट बिहारी सरोज

कोरोना

अमिताभ

मुझे आई.डी. कार्ड दिलाओ

कुमार कृष्ण शर्मा

पीठ

अमित तिवारी

लोकतंत्र का समकालीन प्रमेय

जितेंद्र श्रीवास्तव

परंतु

कुमार अम्बुज

भाषण

रघुवीर सहाय

क्रूरता

कुमार अम्बुज

हम गवाही देते हैं

संजय चतुर्वेदी

कार्यकर्ता से

लीलाधर जगूड़ी

सम्राट : तीन स्वर

तरुण भारतीय

नगड़ची की हत्या

रमाशंकर सिंह

बूथ पर लड़ना

व्योमेश शुक्ल

हैंगओवर

निखिल आनंद गिरि

शैतान

अमिताभ

विपक्ष

राजेश सकलानी

कूटनीति

बेबी शॉ

मेरे शहर के हैं सवाल कुछ

हिमांशु बाजपेयी

aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere