Font by Mehr Nastaliq Web

तानाशाह पर उद्धरण

प्रतिरोध कविता का मूल

धर्म माना जाता है। आधुनिक राज-समाज में सत्ता की स्वेच्छाचारिता के ख़तरों के प्रति आगाह कराते रहने के कार्यभार को कविता ने अपने अपने मूल और केंद्रीय कर्तव्य की तरह धारण कर रखा है। इस आशय में आधुनिक कविताओं में ‘तानाशाह’ शब्द की आवाजाही उस प्रतिनायक के प्रकटीकरण के लिए बढ़ी है, जो आधुनिक राज-समाज के तमाम प्रगतिशील आदर्शों को चुनौती देने या उन्हें नष्ट करने की मंशा रखता हो।

quote

भाषा पर कबीर का ज़बरदस्त अधिकार था। वे वाणी के डिक्टेटर थे। जिस बात को उन्होंने जिस रूप में प्रकट करना चाहा है उसे उसी रूप में भाषा से कहलवा लिया- बन गया है तो सीध-सीधे, नहीं तो दरेरा देकर। भाषा कुछ कबीर के सामने लाचार-सी नज़र आती है।

हजारीप्रसाद द्विवेदी
quote

अत्याचारी कदापि अत्याचार के कारण नष्ट नहीं होते अपितु सदैव ही मूर्खता के कारण नष्ट होते हैं, जब उनकी सनकें एक भवन बना चुकी होती हैं जिसके लिए पृथ्वी पर कोई नींव नहीं होती।

वाल्टर सैवेज लैंडर
quote

समाज की गति के संचालन का कार्य जो शक्ति करती है, वह मुख्यतः प्रतिबंधक नियमों पर बल देती है।

त्रिलोचन
quote

तानाशाह प्रेमिका एक प्रेमी से बहुत जल्द उकता जाती है। पालतू बनाने और निस्तेज करने के लिए उसे नया पुरुष चाहिए।

स्वदेश दीपक
quote

प्रौढ़-वय का शासक अपने को वैसा ही क्रांतिकारी समझता रहता है, जैसा कभी युवावस्था में वह था।

त्रिलोचन
quote

परजीवी हमेशा बहुत सख़्तजान होते हैं।

स्वदेश दीपक

aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere