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पानी पर कविताएँ

पानी या जल जीवन के अस्तित्व

से जुड़ा द्रव है। यह पाँच मूल तत्त्वों में से एक है। प्रस्तुत चयन में संकलित कविताओं में जल के विभिन्न भावों की प्रमुखता से अभिव्यक्ति हुई है।

पानी

नरेश सक्सेना

पानी क्या कर रहा है

नरेश सक्सेना

संघर्ष

सारुल बागला

मछलीघर

हेमंत देवलेकर

उगाए जाते रहे शहर

राही डूमरचीर

पानी को क्या सूझी

भवानीप्रसाद मिश्र

स्मृति

गोविंद निषाद

समुद्री पानी का गीत

फेदेरीको गार्सिया लोर्का

टूटती धार

दिनेश कुमार शुक्ल

बुरा क्षण

रफ़ाइल अलबर्ती

आँख का जल

प्रकाश

प्यार

आर्चीबाल्ड मैकलीश

पहाड़ी झरने

अंद्रेई वोज़्नेसेंस्की

पानी गाता है

मिशियो माडो

बिना तुम्हारे कबूतर

निकेफ़ोरॉस व्रेताकॉस

कुएँ के आसपास

यानिस रित्सोस

जलराशियों का शोकगीत

लियोपोल्ड सेडार सेंगोर

बाख़्चीसराय महल का फ़व्वारा

अलेक्सांद्र पूश्किन

दुबारा वसंत

बोरीस पस्तेरनाक

विस्मृति

मनमोहन

आना अस्थि बनकर

गोविंद निषाद

रास्ते में

राजेश सकलानी

सारी चीज़ें नहीं

कृष्णमोहन झा

प्यास

अदूनिस

पानी में नबूवत

संजय चतुर्वेदी

पानी उबल रहा है

चेन कुन-लुन

जैसे पवन पानी

पंकज सिंह

पानी

हरीशचंद्र पांडे

बोल रहा जल

नंदकिशोर आचार्य

जलोपनिषद्

मणिलाल हरिदास पटेल

अब बहुत नीचे

व्योमेश शुक्ल

पानी

असद ज़ैदी

भू-जल

अजंता देव

रात का जल

प्रकाश

विद्युत वाणी

टी. एस. एलियट

तेज़ धार का कर्मठ पानी

केदारनाथ अग्रवाल

पानी

नामदेव ढसाल

पानी में घिरे हुए लोग

केदारनाथ सिंह

पानी के संस्मरण

रघुवीर सहाय

पानी

आलोकधन्वा

aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

हिन्दवी उत्सव, 27 जुलाई 2025, सीरी फ़ोर्ट ऑडिटोरियम, नई दिल्ली

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