
बिना दूँढ़ने का श्रम किए, प्रिय वस्तु की अनुपमता और अमूल्यता का बोध हो ही नहीं सकता।

अपने अंतरतम की गहराइयों में इस प्रश्न को गूँजने दो: 'मैं कौन हूँ?' जब प्राणों की पूरी शक्ति से कोई पूछता है, तो उसे अवश्य ही उत्तर उपलब्ध होता है।


"मैं कौन हूँ?" जो स्वयं इन प्रश्न को नहीं पूछता है, ज्ञान के द्वार उसके लिए बंद ही रह जाते हैं।
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आवश्यकताओं का तक़ाज़ा पुराने शब्दों को शनैः-शनैः नए अर्थ प्रदान कर देता है।

वेदांत ‘ब्रह्म-जिज्ञासा’ है तो काव्य ‘पुरूष-जिज्ञासा।’

यदि तुम क्रांति का सिद्धांत और विधियों के जिज्ञासु हो तो तुम्हें क्रांति में भाग लेना चाहिए। समस्त प्रामाणिक ज्ञान प्रत्यक्ष अनुभव से उद्भूत होता है।

प्रेम का क्या अर्थ है, यह पता लगाने के लिए आपको अपना पूरा जीवन देना होगा, वैसे ही जैसे यह पता लगाने के लिए कि ध्यान क्या है एवं सत्य क्या है, आपको अपना पूरा जीवन देना पड़ता है।

जानने की कोशिश मत करो। कोशिश करोगे तो पागल हो जाओगे।

फूलों को तोड़कर गुलदान में सजाने वाले शायद ही कभी किसी बीज का अंकुरण देख पाते होंगे।

ज़बरदस्ती कोई काम करना और आंतरिक प्रेरणा के साथ करते जाना— इन दोनों के भेद से कलात्मक कर्म में कुछ विशेष ही घट जाता है। एक से तो हमें सच्ची कला मिलती है और दूसरे से मिथ्या कला का आभास-भर मिलता है।

कलाकार होने का मतलब है—अपनी नज़रों को कभी नहीं फेरना।

साधु के पास उसे कुछ देने नहीं, वरन् उससे कुछ लेने जाना चाहिए। जिनके पास भीतर कुछ है, वे ही बाहर का सब कुछ छोड़ने में समर्थ होते है।
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अनुभव की खोज करने का अर्थ है भ्रांति के मार्ग का अनुसरण करना।

प्रश्न करना दैनिक आदत बना लें। इससे आपको अलग तरह से सोचने में मदद मिलेगी।

अपने अंदर के अन्वेषक को बाहर लाएँ और अपने जीवन को बढ़ते हुए देखें।

आपकी जिज्ञासा की उत्कटता ही, अभिमुखता की उत्कटता हो, अवसर बन जाती है। अवसर की कोई स्वतंत्र सत्ता नहीं है कि कोई उसे लाकर आपको देगा।

ढूँढ़ना स्वतः एक अमृत-फल है।

अपने अनुभव से हासिल किया ज्ञान है कि डाॅक्टर और माशूक़ कभी नहीं बदलने चाहिए। आप फ़ालतू सवालों से बच जाते हैं।

किसी भी तरह के अनुभव की खोज नहीं करना अत्यंत कठिन चीज़ है।

एक अन्वेषक बनने और जीवन में नई चीजों की खोज करने की शुरुआत सिर्फ़ सोचने से होती है।

जिज्ञासा करने वाला हमेशा ख़ुश रहता है।

संकट, चुनौतियों या दुविधाएँ—चाहें आप इन्हें कुछ भी कहें; पर ये आपके अंदर एक प्रतिक्रिया जगाती हैं, जिसके अनुसार आप कार्य करने पर मज़बूर हो जाते हैं।


घटना एक ही होती है, पर उसकी व्याख्याएँ प्रत्येक की अपनी होती हैं।

मनुष्य का भूत और वर्तमान ही उसे समझने के लिए पर्याप्त नहीं है। भावी आदर्श पर बिंबित उसका चेहरा इन सबसे अधिक यथार्थ और इसीलिए अधिक सुंदर तथा उत्साहजनक है।

शिल्प का यह भी एक अनोखा व्यापार है—जैसा-तैसा जो भी माध्यम मिला, उसी पर सवार होकर संसार में जो नहीं है, उसी का जाकर आविष्कार कर डालना।
शिल्प का यह भी एक अनोखा व्यापार है—जैसा-तैसा जो भी माध्यम मिला, उसी पर सवार होकर संसार में जो नहीं है, उसी का जाकर आविष्कार कर डालना।
aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere