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क्रांति पर कविताएँ

इक आग का दरिया है...

रमाशंकर यादव विद्रोही

धीरे-धीरे

सर्वेश्वरदयाल सक्सेना

कुकुरमुत्ता

सूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला'

ग़ुलामी की अंतिम हदों तक लड़ेंगे

रमाशंकर यादव विद्रोही

कोई और

देवी प्रसाद मिश्र

आज देश की मिट्टी बोल उठी है

शिवमंगल सिंह 'सुमन'

उनको प्रणाम!

नागार्जुन

अगर तुम युवा हो

शशिप्रकाश

एक दिन

सारुल बागला

इंक़लाब का गीत

गोरख पांडेय

हम क्रांतिकारी नहीं थे

आर. चेतनक्रांति

जनता का आदमी

आलोकधन्वा

क्रांति

अमित तिवारी

निवेश

प्रदीप सैनी

जेएनयू में वसंत

आमिर हमज़ा

जाग मछंदर

दिनेश कुमार शुक्ल

मरना

उदय प्रकाश

निर्माण

रेजिनो पेद्रोसो

यह कैसी दुर्धर्ष चेतना

कृष्ण मुरारी पहारिया

ईश्वर का मुखपत्र

लुइस मुनोज़ मारिन

जन-गण-मन

रमाशंकर यादव विद्रोही

संसद

पाश

वापसी

कुमार विकल

अपने बेटों के बेटे

इलिया एहरेनबुर्ग

रूसी क्रांति के प्रति

वालेरी ब्रियुसोव

डिक

यानिस रित्सोस

परचम

पाब्लो नेरूदा

विद्रोही

बालकृष्ण शर्मा नवीन

रोए क़ाबिल हाथ

संजय चतुर्वेदी

सूर्योदय का गीत

एंजेलोस सिकेलियानोस

उम्र

पाश

उठो

डी. एच. लॉरेंस

जीवन

पाब्लो नेरूदा

समझदारों का गीत

गोरख पांडेय

aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

हिन्दवी उत्सव, 27 जुलाई 2025, सीरी फ़ोर्ट ऑडिटोरियम, नई दिल्ली

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