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आज़ादी पर कविताएँ

स्वतंत्रता, स्वाधीनता,

मुक्ति के व्यापक अर्थों में आज़ादी की भावना मानव-मन की मूल प्रवृत्तियों में से एक है और कविताओं में महत्त्व पाती रही है। देश की पराधीनता के दौर में इसका संकेंद्रित अभिप्राय देश की आज़ादी से है। विभिन्न विचार-बोधों के आकार लेने और सामाजिक-वैचारिक-राजनीतिक आंदोलनों के आगे बढ़ने के साथ कविता भी इसके नवीन प्रयोजनों को साथ लिए आगे बढ़ी है।

झाँसी की रानी

सुभद्राकुमारी चौहान

अरुणोदय

रामधारी सिंह दिनकर

उड़ते हुए

वेणु गोपाल

बड़बड़

नाज़िश अंसारी

उठ जाग मुसाफ़िर

वंशीधर शुक्ल

शहीदों की चिताओं पर

जगदंबा प्रसाद मिश्र ‘हितैषी'

क़दम क़दम बढ़ाए जा

वंशीधर शुक्ल

जेल में आती तुम्हारी याद

शिवमंगल सिंह 'सुमन'

सन् 1857 की जनक्रांति

गयाप्रसाद शुक्ल 'सनेही'

क़ैदी और कोकिला

माखनलाल चतुर्वेदी

हम पंछी उन्मुक्त गगन के

शिवमंगल सिंह 'सुमन'

चरवाहा

गोविंद निषाद

15 अगस्त 1947

सुमित्रानंदन पंत

लड़के सिर्फ़ जंगली

निखिल आनंद गिरि

मातृभूमि

सोहनलाल द्विवेदी

चिड़िया

अवधेश कुमार

नदी में इतिहास

गोविंद निषाद

याचना

सुमित त्रिपाठी

आज़ादी

रघुवीर सहाय

जहाँ

मानसी मिश्र

विद्रोही

बालकृष्ण शर्मा नवीन

औरतें

ली मिन-युंग

सिपाही

माखनलाल चतुर्वेदी

भागने का एक सपना

ली मिन-युंग

सूर्य-पुत्र

फ़ेंटन जॉनसन

गुमशुदा

रमेश क्षितिज

लड़की की घड़ी

शिवांगी सौम्या

मुक्ति

सौरभ अनंत

महज़ एक जेब

अदीबा ख़ानम

असहयोग

गयाप्रसाद शुक्ल 'सनेही'

मूल्यांकन

डॉ. अजित

आज़ादी के मूल्य

गोविंद निषाद

अफ़्रीक़ा

मिर्ज़ो तुर्सुनज़ादे

देखना

मानसी मिश्र

पंद्रह अगस्त

रघुनाथ दास

कठपुतली

भवानीप्रसाद मिश्र

राज बदल गया हमको क्या

गणेशीलाल व्यास 'उस्ताद'

मुक्ति का पहला पाठ

निर्मला गर्ग

अनुपस्थिति

स्मिता सिन्हा

भारतमाता की नवरत्नमाला

सुब्रह्मण्य भारती

मुक्ति

पूनम सोनछात्रा

ज़ंजीरें

कुमार अम्बुज

aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere