
मैंने एक दिन एक किताब पढ़ी और मेरा पूरा जीवन बदल गया।

असली संग्रहालय वे स्थान हैं, जहाँ समय स्थान में परिवर्तित हो जाता है।

कविता ऐसे वाक्यांशों को बदल सकती है जो दुनिया को घुमाते हैं।

जीवन में हर वह चीज़ जिसे हम वास्तव में स्वीकार करते हैं, उसमें बदलाव आता है। इसलिए दुख को प्रेम बनना चाहिए। यही रहस्य है।

एक व्यक्ति द्वारा दूसरे व्यक्ति का धर्म परिवर्तन करने को मैं उचित नहीं मानता। मेरी कोशिश किसी दूसरे के धार्मिक विश्वास को हिलाने की या उनकी नींव खोदने की नहीं, बल्कि उसे अपने धर्म का एक अच्छा अनुयायी बनाने की होनी चाहिए। इसका तात्पर्य है सभी धर्मों की सच्चाई में विश्वास और इस कारण उन सबके प्रति आदरभाव का होना। इसका यह बी मतलब है कि हममें सच्ची विनयशीलता होनी चाहिए, इस तथ्य की ल्वीकृति होनी चाहिए कि चूँकि सभी धर्मों को हाड़-माँस के अपूर्ण माध्यम से दिव्य-ज्ञान प्राप्त हुआ है, इसलिए सभी धर्मों में कम या ज़्यादा मात्रा में मानवीय अपूर्णताएँ मौजूद हैं।

दर्द को बरक़रार नहीं रखा जा सकता है, इसे ‘विकसित करके’ हास्य में परिवर्तित करने की ज़रूरत है।

हम सभी एक दूसरे को छोड़ देते हैं। हम मर जाते हैं, हम बदल जाते हैं—यह ज़्यादातर बदलाव है—हम अपने सबसे अच्छे दोस्तों को पीछे छोड़ देते हैं। लेकिन अगर मैं तुम्हें छोड़ भी देती हूँ, तो मैं तुम्हें अपना कुछ दे चुकी होऊँगी। तुम मुझे जानने के कारण एक अलग व्यक्ति हो जाओगे। यह अपरिहार्य है।

जो लोग फ़ैशनेबल गोष्ठियों और विधानसभाओं में जाते हैं, केवल उन्हीं को नए कोटों की ज़रूरत पड़ती है; ताकि वे उन्हें उतनी ही जल्दी-जल्दी बदल सकें, जितनी जल्दी कि उनको पहनने वाला बदल जाता है।

उस हर चीज़ को बदला नहीं जा सकता है, जिसका हम सामना करते हैं; लेकिन जब तक उसका सामना नहीं किया जाता, तब तक कुछ भी नहीं बदला जा सकता है।

दुनिया बदल रही है। यह दुनिया अब केवल लड़कों और पुरुषों के लिए ही नहीं है।

अंततः वे महसूस करते हैं कि परिवर्तन का अर्थ उन्नति करना नहीं है, परिवर्तन का अर्थ सुधार नहीं है।

आजकल और बातों की तरह धर्म-परिवर्तन ने भी व्यापार का रूप ले लिया हैं।

जीवन अविकल कर्म है, न बुझने वाली पिपासा है। जीवन हलचल है, परिवर्तन है; और हलचल तथा परिवर्तन में सुख और शांति का कोई स्थान नहीं।

इतिहास घटनाओं के रूप में अपनी पुनरावृत्ति नहीं करता। परिवर्तन का सत्य ही इतिहास का तत्त्व है परंतु परिवर्तन की इस श्रृंखला में अपने अस्तित्व की रक्षा और विकास के लिए व्यक्ति और समाज का प्रयत्न निरंतर विद्यमान रहा है। वही सब परिवर्तनों की मूल प्रेरक शक्ति है।

क्रांति में मूल्य का परिवर्तन होगा। सबसे पहले हमें अपने जीवन में परिवर्तन करना होगा।

निरंतर परिवर्तित होता हुआ यह काल अनेक महापुरुषों को भी एक साथ अनादरपूर्वक गिरा देता है जैसे बड़े-बड़े पर्वतों की शेषनाग।

गति का अर्थ है—एक समय और एक स्थान से दूसरे समय और स्थान में प्रवेश करना, अर्थात् परिवर्तन। यह परिवर्तन ही गति है, गति ही जीवन है! अमरता का अर्थ है—अपरिवर्तन, गतिहीनता।

आज वही सारहीन है जिस पर कल आश्चर्य प्रकट किया जा रहा था। जो कल तक ज्ञान समझा जाता था, आज वही अज्ञान माना जा रहा है। कल शायद वह दोषी माना जाएगा, जिसे आज ज्ञान प्राप्त है। वह वस्तु ही कहाँ है जिसमें परिवर्तशीलता न हो?

हाय! कालरूप पाचक हर क्षण प्राणियों के शरीरों में अवस्था परिवर्तन करता रहता है फिर भी उनकी समझ में कुछ नहीं आता।

पुराना नष्ट होता है, समय परिवर्तित होता है और खंडहरों में से नया जीवन उदित होता है।

परिवर्तन—जीवन का सबलतम पुत्र।

मनुष्य रचित परिवर्तनीय और कभी-कभी परस्पर विरोधी ग्रंथों में क्या लिखा है, उसी के आधार पर कोई सुधार या परिवर्तन करना उचित है अथवा अनुचित है—इसका निर्णय न करते हुए वह विशिष्ट सुधार विशिष्ट परिस्थिति में राष्ट्र-धारणा के लिए हितकर है या नहीं, इस प्रत्यक्ष प्रमाण को विचारार्थ लिया जाना चाहिए और परिस्थिति के अनुसार निर्बंधों-नियमों को भी बदलते रहना चाहिए।

संसार क्या है? शून्य है। और परिवर्तन उस शून्य की चाल है।

स्वयं के भीतर एक मौलिक परिवर्तन को जन्म देना जीवन भर का काम है—यह ऐसी चीज़ नहीं है जो सिर्फ़ कुछ दिनों के लिए है और बाद में इसे भूल जाना है।
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नया परिवर्तन करना सुधार करना नहीं हैं।

परिवर्तन का चक्र घूमता रहता है और जो नीचे थे वे ऊपर आ जाते हैं, और जो ऊपर थे वे नीचे गिर जाते हैं।

aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere