गांधी मानते हैं कि मनुष्य का लोभ ही उसके नाश का कारण है। लेकिन मार्क्स के अनुसार यह लोभ ही मानव के इतिहास की प्रगति का लक्षण है। मार्क्स की तरह गांधी पूर्वग्रह से पीड़ित नहीं थे।
इस आधुनिक (रूसी) क्रांति का अध्ययन बहुत रोचक है। जो रूप इसने अब ग्रहण किया है, वह मार्क्सवादी सिद्धांत व मतांधताओं को रूस की अनिच्छुक प्रतिभा पर लादने के प्रयत्न के फलस्वरूप है। हिंसा पुनः असफल रहेगी। यदि मैंने परिस्थिति को ठीक समझा है, तो मुझे एक प्रतिक्रांति की आशा है। कार्ल मार्क्स के समाजवाद से अपनी स्वाधीनता के लिए रूस की आत्मा अवशय संघर्ष करेगी।
गांधी और मार्क्स, दोनों अपनी-अपनी संस्कृति के विशेष अनुभव के कारण ही सार्वत्रिक सच की स्थापना कर सके।
जो चीज़ वास्तविक परिवर्तनों में निहित एकरूपता को वैज्ञानिक ढंग से प्रतिबिंबित करती है, वही मार्क्सवादी द्वंद्ववाद है।
aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere