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आँसू पर कविताएँ

मानवीय मनोभाव के एक

प्रकट चिह्न के रूप में आँसू हमेशा से काव्य के विषय-वस्तु रहे हैं और वृहत रूप से इनके बहाने से कवियों ने विविध दृश्य और संवाद रचे हैं।

किताब पढ़कर रोना

रघुवीर सहाय

नींद में रुदन

सविता सिंह

आत्म-मृत्यु

प्रियंका दुबे

बाहर बारिश

अविनाश मिश्र

रोती हुई औरत

इब्बार रब्बी

हम रोते थोड़ी हैं पागल

प्रदीप अवस्थी

रेलपथ

बेबी शॉ

विलाप-1/मई

सौरभ कुमार

शब्दों से परे

तादेऊष रूज़ेविच

उम्मीद

पंकज चतुर्वेदी

शोधन

तादेऊष रूज़ेविच

सँभालना

अनुभव

आँख भर देखा कहाँ

जगदीश गुप्त

विलाप-2/जून

सौरभ कुमार

मेट्रो में रोना

अविनाश मिश्र

दूर कहीं कोई रोता है

अटल बिहारी वाजपेयी

आँसू

दुन्या मिखाइल

आँसू

ज्याँ आर्थर रम्बो

आँख का जल

प्रकाश

आँसू का अनुवाद

मदनलाल डागा

बहुत कुछ देखना बाक़ी है

विनोद कुमार शुक्ल

पेपरवेट

गीत चतुर्वेदी

कोना

सुधांशु फ़िरदौस

रोया हूँ

शुभम नेगी

आम खाते हुए रोना

गार्गी मिश्र

रुदन का क़सीदा

फेदेरीको गार्सिया लोर्का

अमरबेल

शिवांगी सौम्या

बहन

अमर दलपुरा

घूसर रेत

बबली गुज्जर

उसका आना

राजेंद्र धोड़पकर

रोने की भाषा

राकेश कुमार मिश्र

विलाप नहीं

कुमार वीरेंद्र

नमक हराम

जितेंद्र श्रीवास्तव

रोना

विष्णु नागर

आँसू

पीयूष दईया

पहाड़

महिमा कुशवाहा

एक पीली शाम

शमशेर बहादुर सिंह

aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

हिन्दवी उत्सव, 27 जुलाई 2025, सीरी फ़ोर्ट ऑडिटोरियम, नई दिल्ली

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