
अभिनेता ही ईमानदार ढोंगी होते हैं। उनका जीवन एक संकल्पित स्वप्न है और उनकी आकांक्षाओं की चरम परिणति है स्वयं के अतिरिक्त कुछ होना। वे दूसरे मनुष्यों के भाग्यों की पोशाकें पहनते हैं। उनके अपने विचार भी अपने नहीं होते।


हे भारत! पुरुषार्थ करने पर भी यदि सिद्धि न प्राप्त हो तो खिन्न नही होना चाहिए, क्योंकि फल-सिद्धि में पुरुषार्थ के अतिरिक्त भी प्रारब्ध तथा ईश्वर कृपा दो अन्य कारण हैं।

पुरुष को जो वस्तु जिस प्रकार मिलने वाली होती है, वह उस प्रकार मिल ही जाती है। जिस वस्तु की जैसी होनहार होती है वह वैसी होती ही है।

लक्ष्मी उद्योगी पुरुष को प्राप्त होती है। कायर लोग कहते हैं कि जो भाग्य में होगा वह मिलेगा। भाग्य को छोड़कर, अपनी शक्तिभर यत्न करो, फिर भी यदि कार्य सिद्ध न हो तो इसमें कोई दोष नहीं है (या यह देखो कि मेरे पुरुषार्थ में क्या दोष रह गया।

निरंतर अथक परिश्रम करने वाले भाग्य को भी परास्त कर देंगे।

कांतिहीन के अंग पर अलंकार भी अपने भाग्य को रोते हैं।

मुझे भी वही भाग्य मिलेगा, जो ऑडबॉल को, और जंगल के मृग को मिलेगा; एक दिन हम सभी सिर्फ़ शव होंगे।

सत्य कभी भी दयावान नहीं होता। हम कहाँ चुन सकते हैं अपना भाग्य।

सौभाग्य और दुर्भाग्य मनुष्य की दुर्बलता के नाम हैं।

यह मानने का जी नहीं करता कि उसने हम कीड़े-मकोड़ों में से एक-एक का पूरा जीवन-चरित ख़ुद गढ़ा है। मुझे लगता है कि एक विशिष्ट ढंग से उसने फेंक दिया है हमें कि मंडराओ और टकराओ आपस में। समग्र पैटर्न तो वह जानता है, एक-एक कण की नियति नहीं जानता। क़समिया तौर पर वह ख़ुद नहीं कह सकता कि इस समय कौन कण कहाँ, किस गति से, क्या करने वाला है। नियतियों के औसत वह जानता है, किसी एक की नियति नहीं।

सारे वृत्त एक-दूसरे को काटने के लिए ही जन्म लेते हैं।

निरा संयोग दुनिया में कुछ नहीं होता।

भाग्य असफलताओं का बहाना है।
aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere