नाम पर उद्धरण
नाम एक पहचान, उपस्थिति
और अस्तित्व विषयक चयन है। इस संग्रह में नाम और नामकरण पर ज़ोर रखती कविताओं का अपूर्व संकलन किया गया है।

नाम पुकारे जाने पर पशु भागे आते हैं, बिल्कुल मनुष्यों की तरह।

सती स्त्रियों, अपने दुःख को तुम संभाल कर रखना। वह दुःख नहीं, सुख है। तुम्हारा नाम लेकर बहुतेरे पार उतर गए हैं और उतरेंगे।

रूप व्यक्ति-सत्य है, नाम समाज सत्य।

स्त्रियों के लिए किसी मंत्रणा को छिपाकर रखना कितना दुष्कर है!

जिस चिह्न से जो देश युक्त होता है और जिससे जिसकी पहचान होती है, विद्वानों का कहना है कि उस देश का वही नाम रखना चाहिए।

चंचलता! तेरा ही नाम नारी है।

संसार में नाम और द्रव्य की महिमा कोई आज भी ठीक-ठीक नहीं जान पाया।

हे भगवान्! आपने अपने बहुत नाम प्रकट किए हैं, जिनमें आपने अपनी सब शक्ति भर दी है और आपने उनके स्मरण के लिए कोई काल भी सीमित नहीं किए हैं। आपकी ऐसी कृपा है परंतु मेरा ऐसा दुर्भाग्य है कि इस जीवन में मुझमें कोई भक्ति नहीं है।

एक प्रकार से नाम और रूप ही सृष्टि का पर्याय है, नाम सूत्र है, रूप विस्तार है। नाम प्रतीतियों की अविच्छिन्न श्रृंखला है, रूप प्रतीति का एक गृहीत क्षण। नाम सूक्ष्म है, रूप स्थूल।

नाम में क्या रखा है? गुलाब के पुष्प को किसी और नाम से पुकारने पर भी उसकी गंध तो उतनी ही मधुर होगी।

हे हरि! आपने अपने नाम को स्वयं से भी बढ़ा दिया, अपनी सब शक्ति उसमें भर दी। उसके स्मरण के लिए काल के नियम भी नहीं बनाए। ऐसी तुम्हारी कृपा हुई परंतु मेरा दुर्भाग्य तो देखो कि तुम्हारे नाम के प्रति मुझमें अनुराग ही नहीं उत्पन्न हुआ।

उसने सत्य बातें कहीं किंतु उन्हें ग़लत नाम दिए।

जो सहृदयता दर्पण में अपना मुख निरखती है, पत्थर बन जाती है। और सत्क्रिया जो अपने को सुंदर नामों से संबोधित करती है, अभिशाप की जननी बन जाती है।

माँ-बाप बड़े हुलास से अपने बच्चों को जो नाम देते हैं, कभी-कभी वह नाम समाज द्वारा बदल दिया जाता है। समाज द्वारा दिया हुआ नाम शक्तिशाली होता है और मूल नाम को धकियाकर अपने द्वारा ही आदमी की पहचान उजागर करने लगता है।

नेता? नेता कौन है? मनुष्य? एक मनुष्य सब विषयों की पूर्णता पा सकता है? 'न"। इसीलिए नेता मनुष्य नहीं। सभी विषयों की संकलित ज्ञान-राशि का नाम नेता है।

हरि कथा तो भगवान्, भक्त और नाम का त्रिवेणी-संगम है।

नाम स्मरण ही सारभूत है।

चिढ़ाने का नाम वह भारी से भारी पत्थर है जो शैतान किसी व्यक्ति पर फेंक सकता है।

गुणवानों की गणना के आरंभ में खडिया जिसका नाम गौरवपूर्वक नहीं लिखती, ऐसे पुत्र से यदि माता पुत्रवती बनती है, तो वंध्या कैसी होगी?

हे प्रभु! कब ऐसा होगा कि आपका नाम लेने में मेरे मुख पर अश्रुधारा बहने लगे, वाणी गद्गद होकर रुँध जाए और सारा शरीर पुलकित होकर रोमांचित हो जाए?

वाणी से राम नाम लेते हुए यदि मन विषय की ओर दौड़े तो इसे भगवान का स्मरण नहीं वरन् विस्मरण समझना चाहिए।

चिढ़ाने का नाम सभी भाषाओं में सबसे संक्षिप्त है और सब तर्कों में सबसे अधिक अकाट्य है।

भाषा में प्रयुक्त एक-एक शब्द, एक-एक स्वराघात कुछ सूचना देते हैं। व्यक्तियों के नाम, कुलों या ख़ानदानों के नाम, पुराने गाँवों के नाम जीवंत इतिहास के साक्षी हैं। हमारे रीति-रस्म, पहनावे, मेले, गान, नाच, पर्व, त्यौहार, उत्सव हमारे पुराने इतिहास की कथा सुना जाते हैं।

वैयक्तिकता को जो भी कुचले, वह तानाशाही है, चाहे उसे किसी भी नाम से पुकारा जाए।

नाम कमाने की व्याकुल साध बड़े रंगीन सपने रचती है।

ख़ूब चमकता नाम बात की बात में कालिख में ऐसा डूबता है कि पहचानना मुश्किल हो जाता है।

अवधी की ख़ालिस, बेमेल मिठास के लिए 'पदमावत' का नाम बराबर लिया जाएगा।

नाम का नशा नुक़सानदेह।
aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere