
स्वर्ग और नर्क के बारे में महान कविताएँ लिखी जा चुकी हैं, मगर पृथ्वी पर महान कविता लिखी जानी अभी बाक़ी है।

आप नर्क जाने के बाद स्वर्ग जाते हैं।

नरक स्वर्ग का तहख़ाना होगा।

ऐसी दुनिया में रहना नर्क में रहने के समान है, जहाँ किसी को माफ़ नहीं किया जाता और जहाँ सभी कभी न सुधर सकने लायक़ हैं।

खनखनाते हुए मणिमय मुक्ताहार, सोने के नूपुर, कुंकम के अंगराग, सुगंधित पुष्प, विचित्र मालाएँ, रंगबिरंगे वस्त्र—इन सब चीज़ों की मूर्खों ने नारी में कल्पना कर ली है किंतु भीतर-बाहर विचारने वालों के लिए तो स्त्रियाँ नरक ही हैं।

पाप केवल इसलिए बुरा नहीं है कि उससे अपने आपको नरक मिलता है, बुरा वह इसलिए है कि उसकी दुर्गंध से दूसरे का दम भी बिना घुटे नहीं रहता।
aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere