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पेड़ पर कविताएँ

इस विशिष्ट चयन में प्रकृति

के प्रतीक और जड़-ज़मीन-जीवन के संदर्भ के साथ पेड़ या वृक्ष कविता में अपनी ज़रूरी उपस्थिति दर्ज कराते नज़र आएँगे।

एक वृक्ष की हत्या

कुँवर नारायण

परवाह

जसिंता केरकेट्टा

एक वृक्ष भी बचा रहे

नरेश सक्सेना

प्रेमपत्र

सुधांशु फ़िरदौस

कितना बहुत है

विनोद कुमार शुक्ल

ऊँचाई

अटल बिहारी वाजपेयी

थोड़ी धरती पाऊँ

सर्वेश्वरदयाल सक्सेना

पेड़ों की मौत

अखिलेश सिंह

पेड़ों का अंतर्मन

हेमंत देवलेकर

आलिंगन

अखिलेश सिंह

(पर)लोक-कथा

गीत चतुर्वेदी

शिमला

अखिलेश सिंह

बचपन की स्मृति

तादेऊष रूज़ेविच

आम के बाग़

आलोकधन्वा

दुपहरें

यानिस रित्सोस

वापसी

यानिस रित्सोस

उससे मेरा संबंध क्या था?

जसिंता केरकेट्टा

जीवनवृक्ष

राधावल्लभ त्रिपाठी

एक जाड़े की कथा

मनप्रसाद सुब्बा

सरई फूल

राही डूमरचीर

दीवार

ज़्बीग्न्येव हेर्बेर्त

लौह बर्च

इबॉर्तो पॅदिल्ल्या

अरण्यानी से वापसी

श्रीनरेश मेहता

वृक्षों से

यीव बोनफ़्वा

पेड़ का सपना

चाङ् ह्यान जाङ्

मैं इस हरे को

ओसिप मंदेलश्ताम

वृक्ष

आग्नैश नैमैश नॉज

अंतजर

अलेक्सांद्र पूश्किन

जंगली सेब का पेड़

किरसी कुन्नस

वृक्ष मनुष्य

दर्शन बुट्टर

एक लड़की

एज़रा पाउंड

नया अनहद

दिनेश कुमार शुक्ल

कितना अच्छा है

तादेऊष रूज़ेविच

मुझे नींद नहीं आती

कैलाश वाजपेयी

मुरझाए नारंगी-वृक्ष का गीत

फेदेरीको गार्सिया लोर्का

दरख़्त

फेदेरीको गार्सिया लोर्का

लेनिन का सखुआ

अंद्रेई वोज़्नेसेंस्की

वे दो

एलेन गिन्सबर्ग

कुछ पेड़

जॉन एशबेरी

कार्बन डाइ-ऑक्साइड

आग्नैश नैमैश नॉज

नीम का पौधा

गीत चतुर्वेदी

चीड़ के वृक्ष

किरसी कुन्नस

शाल एक रेशमी

महमूद दरवेश

‘हूँ’ गीत

प्रकाश

पीपल का पेड़

रमेश क्षितिज

aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

हिन्दवी उत्सव, 27 जुलाई 2025, सीरी फ़ोर्ट ऑडिटोरियम, नई दिल्ली

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