ख़ून पर कविताएँ

ख़ून शरीर की नसों में

बहने वाला लाल तरल पदार्थ है जिसके लिए अन्य प्रचलित शब्द रक्त, रुधिर, लहू, शोणित आदि हैं। ख़ून से संलग्न कई मुहावरें भाषा में लोकप्रिय रहे हैं। अत्यंत क्रोध, हत्या, हिंसा, प्रतिरोध आदि कई प्रसंगों में भी ख़ून एक प्रतीक का निर्माण करता है।

हिस्सा

नरेश सक्सेना

रक्तचाप

पंकज चतुर्वेदी

अठारह दिन

बद्री नारायण

माँ के हाथ

शंकरानंद

ब्लड डोनर और जाति का ओनर

बच्चा लाल 'उन्मेष'

लहू में लोहा

कुमार कृष्ण शर्मा

दंगे के बाद

अच्युतानंद मिश्र

लोहा

दिनेश कुमार शुक्ल

ख़ून और ख़ामोशी

सविता सिंह

ख़ून जलता है

रमाशंकर यादव विद्रोही

रक्त प्रेम का

सविता सिंह

कन्हई कहार

रमाशंकर यादव विद्रोही

रक्तकमल

भवानीप्रसाद मिश्र

सुर्ख़

अंकुर मिश्र

वो लड़के कौन थे

गौतम कुमार

रिप्लेस होगा???

हरीश मंगलम्

युद्ध के ख़ून

शिवमंगल सिद्धांतकर

अटकल

गिरधर राठी

लाल बरामदा

मधु शर्मा

लहू

जसवंत दीद

नैपकिन

निशांत

मच्छर की मौत

मोहम्मद अनस

ख़ून नहीं, कविता

बृजेश्वर सिंह

श्राद्ध

विनोद भारद्वाज

रक्त के धागों से

श्वेतांक सिंह

ख़ून की खोज

शिवमंगल सिद्धांतकर

अनुपस्थिति

अजय नेगी

प्राचीन रक्त

लीलाधर मंडलोई

अंततः

अजय नेगी

युद्ध

लनचेनबा मीतै

शिला का ख़ून पीती थी

शमशेर बहादुर सिंह

aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere