लंबी कविता पर कविताएँ

लंबी कविता आधुनिक स्थितियों

की अनिवार्यता की उपज है, जिसमें समकालीनता-बोध एवं यथार्थ के प्रति अतिरिक्त रुझान और समाजेतिहासिक स्थितियों की गहरी समझ ने योगदान किया। इसे कविता की पुरानी प्रबंधात्मकता से मुक्ति की पहली सीढ़ी के रूप में देखा गया है। इस चयन में कुछ चर्चित एवं नई लंबी कविताओं का संकलन किया गया है।

मुसलमान

देवी प्रसाद मिश्र

राम की शक्ति-पूजा

सूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला'

घर की याद

भवानीप्रसाद मिश्र

अँधेरे में

गजानन माधव मुक्तिबोध

सरोज-स्मृति

सूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला'

सफ़ेद रात

आलोकधन्वा

कुकुरमुत्ता

सूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला'

चाँद का मुँह टेढ़ा है

गजानन माधव मुक्तिबोध

टूटी हुई, बिखरी हुई

शमशेर बहादुर सिंह

पटकथा

धूमिल

सतपुड़ा के जंगल

भवानीप्रसाद मिश्र

कथा देश की

रमाशंकर यादव विद्रोही

विध्वंस की शताब्दी

आस्तीक वाजपेयी

बचपन से लिंग अब तक

उस्मान ख़ान

जनता का आदमी

आलोकधन्वा

क्रूरता

दूधनाथ सिंह

मेघदूत विषाद

सुधांशु फ़िरदौस

हरिजन-गाथा

नागार्जुन

भड़ुआ वसंत

गोरख पांडेय

चेहरा

रघुवीर सहाय

अलविदा

विजय देव नारायण साही

आवाज़ तेरी है

राजेंद्र यादव

स्वर्ग से विदाई

गोरख पांडेय

बीनियाँ और धामन

सुमन मिश्र

डूबता चाँद कब डूबेगा

गजानन माधव मुक्तिबोध

अमराई

प्रेम रंजन अनिमेष

रायपुर बिलासपुर संभाग

विनोद कुमार शुक्ल

कपड़े के जूते

आलोकधन्वा

रक्तचाप

पंकज चतुर्वेदी

अम्न का राग

शमशेर बहादुर सिंह

aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere