चाँदनी पर कविताएँ

चाँदनी चाँद की रोशनी

है जो उसके रूप-अर्थ का विस्तार करती हुई काव्य-अभिव्यक्ति में उतरती रही है।

सफ़ेद रात

आलोकधन्वा

चाँद का मुँह टेढ़ा है

गजानन माधव मुक्तिबोध

शरद पूर्णिमा

अरमान आनंद

आश्विन की चाँदनी रात

मनोरमा बिश्वाल महापात्र

चाँदनी में ताज

हरेकृष्ण डेका

पूर्णमासी रात भर

शकुंत माथुर

चाँदनी के पहाड़

दिनेश कुमार शुक्ल

विराम

पूनम अरोड़ा

एक और सिंह-मूसिक उपाख्यान

जानकी बल्लभ पटनायक

चाँद

माधुरी

चाँद की पूरी रात में

सुरेंद्र स्निग्ध

चाँदनी पी लें

रघुराजसिंह हाड़ा

चाँदनी

रामविलास शर्मा

चाँदनी मैली नहीं

कर्तार सिंह दुग्गल

कतकी पूनो

अज्ञेय

तलाश

आकांक्षा

अगस्त के बादल

सुरेंद्र स्निग्ध

चाँदनी रात

रमाकांत रथ

जीवन मंत्र

गुंजन उपाध्याय पाठक

चाँदनी की छाँव में

अजीत रायज़ादा

चाँदनी का टीला

कुमार मुकुल

चाँदनी

मदनलाल डागा

आलिंगन

दूधनाथ सिंह

एक नीला आईना बेठोस

शमशेर बहादुर सिंह

aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere