आवारगी पर कविताएँ

आवारगी का अर्थ बेकार

इधर-उधर फिरना, स्वच्छंदता, शोहदापन आदि से है। कविता में इसे प्रायः कवि-मन की स्वच्छंदता, बने-बनाए सामाजिक क़ायदे-क़ानून और ढर्रे को नहीं मानने और वर्जित विषयों में सक्रियता के रूप में बरता गया है।

यादगोई

सुधांशु फ़िरदौस

लड़के सिर्फ़ जंगली

निखिल आनंद गिरि

अभी हूँ

अनाम कवि

बेघर

सुधांशु फ़िरदौस

निराला के प्रति

धर्मवीर भारती

बंजारे

निधीश त्यागी

आश्वासन

अमित तिवारी

जिप्सी लड़की

अवधेश कुमार

द्विजन्मा

साैमित्र मोहन

भटकते हुए

दिनेश कुमार शुक्ल

मृत्यु-भोग

जगदीश चतुर्वेदी

उदास लड़के

नवीन रांगियाल

हम अनिकेतन

बालकृष्ण शर्मा नवीन

रेख़्ते के बीज

कृष्ण कल्पित

वन्या

अनुपम सिंह

अन्ना फिरा मैं

केशव तिवारी

ख़ानाबदोशी

आयुष झा

हवा जब आएगी

चंपा वैद

पथभ्रष्ट

अनुजीत इक़बाल

मनमर्ज़ी

इमरोज़

कविता की सिफ़त

नरेंद्र जैन

एकांता

उस्मान ख़ान

आँधी

पद्मजा घोरपड़े

सड़कछाप प्रेमी

संतोष अर्श

स्नेस्वेकतोय

मोना गुलाटी

आलोड़न

मोना गुलाटी

सपनों की भटकन

रति सक्सेना

आवारा लड़कियाँ

संजय शेफर्ड

ध्वंस

जगदीश चतुर्वेदी

टूटा हुआ उल्का पिंड

जगदीश चतुर्वेदी

व्यतिक्रम

जगदीश चतुर्वेदी

aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere