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परिवार पर कविताएँ

परिवार संबंध और ‘इमोशन’

का समूह है। इस चयन में परिवार मूल शब्द का कविता-प्रसंगों में इस्तेमाल करती अभिव्यक्तियों का संकलन किया गया है।

प्रेमिकाएँ

अखिलेश सिंह

उलझन

सुरेंद्र विक्रम

यहीं

अहर्निश सागर

स्‍त्री और आग

नवीन रांगियाल

शैशव

कार्लोस द्रमंद द अंद्रादे

चौदह भाई बहन

व्योमेश शुक्ल

शराब के नशे में

अच्युतानंद मिश्र

बड़बड़

नाज़िश अंसारी

धूसर नयन राजा

अन्ना अख्मातोवा

मछली-बाज़ार में

युमनाम मंगीचंद्र

दो बूँदें

ज़्बीग्न्येव हेर्बेर्त

यह बहुत दुखदायी होगा

प्रदीप अवस्थी

स्वागत

सिल्वा कपुतिक्यान

मेज़

गिरिराज किराडू

फ़ैमिली अलबम

विजया सिंह

घर की याद

भवानीप्रसाद मिश्र

बेटी का स्कूल

निखिल आनंद गिरि

बहनों का कमरा

गार्गी मिश्र

अकेला आदमी

विष्णु खरे

कंकड़ छाँटती

आत्मा रंजन

रात

विनय सौरभ

ख़ाली आँखें

नवीन रांगियाल

बचपन-रात

अदनान कफ़ील दरवेश

अधूरा मकान

हरीशचंद्र पांडे

अब तो उड़ती हुई रेत है

चंद्रकांत देवताले

एक पारिवारिक प्रश्न

केदारनाथ सिंह

दयावती का कुनबा

रघुवीर सहाय

बहुत दिनों से

नवल शुक्ल

इस साल

समर्थ वाशिष्ठ

काफल

पवन चौहान

अपूर्ण मृत्यु

दीपक जायसवाल

पढ़िए गीता

रघुवीर सहाय

औरत

वंदना पराशर

फिर भी

हरि मृदुल

झुकना मत

मीनाक्षी जिजीविषा

aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

हिन्दवी उत्सव, 27 जुलाई 2025, सीरी फ़ोर्ट ऑडिटोरियम, नई दिल्ली

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