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हँसी पर कविताएँ

हँसी एक भौतिक प्रतिक्रिया

है जो किसी आंतरिक या बाह्य उद्दीपन की अनुक्रिया के रूप में प्रकट होती है। इसे आनंद, ख़ुशी, राहत, सुख जैसी सकारात्मक भावावेश की श्रवण-योग्य अभिव्यक्ति माना जाता है। कई बार वह विलोम परिदृश्यों, जैसे : शर्मिंदगी, भ्रम या आश्चर्य की दशा में भी एक रक्षात्मक प्रतिक्रिया के रूप में प्रकट होती है। इस चयन में हँसी विषय पर अभिव्यक्त उत्कृष्ट कविताओं को शामिल किया गया है।

औरत का हँसना

चंद्रकांत देवताले

हँसी

नरेश सक्सेना

आपकी हँसी

रघुवीर सहाय

हँसी

विष्णु खरे

ऐसे ललित-विनत शीलों से

एमिली डिकिन्सन

तलाशी

गीत चतुर्वेदी

भय

अनीता वर्मा

हँसी-ख़ुशी

शैलेंद्र साहू

खिलखिलाती

नंदकिशोर आचार्य

हँसना

निखिल आनंद गिरि

एक पर हँसी

प्रकाश

चक्र

नीलेश रघुवंशी

नेपथ्य में हँसी

राजेश जोशी

क्या करूँगा, रघुवीर जी

नंदकिशोर आचार्य

प्राइमरी कक्षाओं के बच्चे

मोहन कुमार डहेरिया

तुम्हारी हँसी

संजय शेफर्ड

हँसती हुई औरतें

विमलेश त्रिपाठी

हँसा बहुत ज़ोर से

शैलेंद्र दुबे

मुस्कराहटें

अनुराधा ओस

तुम जब हँसती हो

सवाई सिंह शेखावत

सूना-सूना पथ है, उदास झरना

शमशेर बहादुर सिंह

गांधी की हँसी

सदानंद शाही

हँसना

स्वप्निल श्रीवास्तव

क्या मुस्कुराना छोड़ दूँ...

ज्ञानराज माणिकप्रभु

वह लड़की

अनिल जनविजय

हँसते-हँसते

राजेश सकलानी

हँसी

अनीता वर्मा

दीवानगी

गोबिंद प्रसाद

दंतुरित मुस्कान

सत्यम् सम्राट आचार्य

aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere