विस्थापन पर कविताएँ
अपनी जगहों को छोड़कर
दूसरी जगहों पर मजबूरन, जबरन या आदतन जाना युगों से मानवीय जीवन का हिस्सा रहा है; लेकिन निर्वासन या विस्थापन आधुनिक समय की सबसे बड़ी सचाइयों में से एक है। यह चयन उन कविताओं का है जिन्होंने निर्वासन या विस्थापन को अपने विषय के रूप में चुना है।
aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
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