वर्षा पर कविताएँ

ऋतुओं का वर्णन और उनके

अवलंब से प्रसंग-निरूपण काव्य का एक प्रमुख तत्त्व रहा है। इनमें वर्षा अथवा पावस ऋतु की अपनी अद्वितीय उपस्थिति रही है, जब पूरी पृथ्वी सजल हो उठती है। इनका उपयोग बिंबों के रूप में विभिन्न युगीन संदर्भों के वर्णन के लिए भी किया गया है। प्रस्तुत चयन में वर्षा विषयक विशिष्ट कविताओं का संकलन किया गया है।

होना

सुघोष मिश्र

जब वर्षा शुरू होती है

केदारनाथ सिंह

पेड़ों का अंतर्मन

हेमंत देवलेकर

सबसे बड़ा छाता

मनोज कुमार

बाहर बारिश

अविनाश मिश्र

चौराहा

राजेंद्र धोड़पकर

तुम्हारा नाम

राजेंद्र धोड़पकर

पहली बूँद

गोपालकृष्ण कौल

अब पानी बरसेगा तो

सौम्य मालवीय

अनुपस्थिति

गार्गी मिश्र

सावन में यह नदी

कृष्ण मुरारी पहारिया

पहली बारिश

सुधांशु फ़िरदौस

एक धुँधला दिन

सौरभ अनंत

भादों की संध्या का जब

कृष्ण मुरारी पहारिया

नवसंदेश-रासक

अविनाश मिश्र

मेघ आए

सर्वेश्वरदयाल सक्सेना

बारिश

केदारनाथ सिंह

गद्य

सौरभ अनंत

बारिश

विजय राही

पत्तों पर बारिश

दर्शन बुट्टर

खेल के बाद

वास्को पोपा

बरसात

अशरफ़ अबूल-याज़िद

साहब लोग रेनकोट ढूँढ़ रहे हैं

जितेंद्र श्रीवास्तव

आज रात बारिश

सविता भार्गव

चौमासा

नंदकिशोर आचार्य

ये अषाढ़ के पहले बादल

कृष्ण मुरारी पहारिया

बारिश

सौरभ अनंत

ऐ बंधु!

सारुल बागला

रेगिस्तान में बारिश

सुमेर सिंह राठौड़

छाता

प्रेम रंजन अनिमेष

रुक जा ओ बारिश रुक जा!

प्रवासिनी महाकुड़

दो बारिशों के बीच

राजेंद्र धोड़पकर

बारिश

विनोद भारद्वाज

बारिश

निलय उपाध्याय

बच्चे

सुघोष मिश्र

एक माहिया

अजंता देव

सावन सुआ उपास

शैलेंद्र कुमार शुक्ल

सर्दियों की बारिश

मोनिका कुमार

बारिश का अर्थ

मानसी मिश्र

वर्षा के बाद

हरिनारायण व्यास

फूले कदंब

नागार्जुन

वर्षाकाल

नारायण सुर्वे

बारिश

आलोकधन्वा

आषाढ़ का पहला दिन

भवानीप्रसाद मिश्र

aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere