प्रकृति पर गीत

प्रकृति-चित्रण काव्य

की मूल प्रवृत्तियों में से एक रही है। काव्य में आलंबन, उद्दीपन, उपमान, पृष्ठभूमि, प्रतीक, अलंकार, उपदेश, दूती, बिंब-प्रतिबिंब, मानवीकरण, रहस्य, मानवीय भावनाओं का आरोपण आदि कई प्रकार से प्रकृति-वर्णन सजीव होता रहा है। इस चयन में प्रस्तुत है—प्रकृति विषयक कविताओं का एक विशिष्ट संकलन।

एक पेड़ चाँदनी

देवेंद्र कुमार बंगाली

अनंत उल्लास

गोपालशरण सिंह

दृष्टि

राघवेंद्र शुक्ल

घरी दो घरी नहीं

श्यामबिहारी श्रीवास्तव

मधु ऋतु

शंभुनाथ सिंह

गुमनाम पत्ते

देवेंद्र कुमार बंगाली

वन-रोदन

गोपालशरण सिंह

ओ री मानस की गहराई

जयशंकर प्रसाद

झरना

जयशंकर प्रसाद

aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere