Font by Mehr Nastaliq Web

प्रकृति पर कड़वक

प्रकृति-चित्रण काव्य

की मूल प्रवृत्तियों में से एक रही है। काव्य में आलंबन, उद्दीपन, उपमान, पृष्ठभूमि, प्रतीक, अलंकार, उपदेश, दूती, बिंब-प्रतिबिंब, मानवीकरण, रहस्य, मानवीय भावनाओं का आरोपण आदि कई प्रकार से प्रकृति-वर्णन सजीव होता रहा है। इस चयन में प्रस्तुत है—प्रकृति विषयक कविताओं का एक विशिष्ट संकलन।

नागमती वियोग (आठ)

मलिक मोहम्मद जायसी

नागमती वियोग (ग्यारह)

मलिक मोहम्मद जायसी

नागमती वियोग (नौ)

मलिक मोहम्मद जायसी

नागमती वियोग (दस)

मलिक मोहम्मद जायसी

नागमती वियोग (सात)

मलिक मोहम्मद जायसी

नागमती वियोग (चौदह)

मलिक मोहम्मद जायसी

नागमती वियोग (पंद्रह)

मलिक मोहम्मद जायसी

नागमती वियोग (तेरह)

मलिक मोहम्मद जायसी

नागमती वियोग (बारह)

मलिक मोहम्मद जायसी

नागमती वियोग (सत्रह)

मलिक मोहम्मद जायसी

नागमती वियोग (छह)

मलिक मोहम्मद जायसी

राजविलास

स्वयंभू

षड्ऋतु वर्णन (वसंत)

मलिक मोहम्मद जायसी

षड्ऋतु वर्णन (पावस)

मलिक मोहम्मद जायसी

षड्ऋतु वर्णन (शरद)

मलिक मोहम्मद जायसी

षड्ऋतु वर्णन (हेमन्त)

मलिक मोहम्मद जायसी

नागमती वियोग (सोलह)

मलिक मोहम्मद जायसी

षड्ऋतु वर्णन (ग्राीष्म)

मलिक मोहम्मद जायसी

षड्ऋतु वर्णन (शिशिर)

मलिक मोहम्मद जायसी

वसंत वर्णन

स्वयंभू

aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere